जयपुर। बड़े बुजुर्गों की कहावतें भले ही सदियों पहले बनी हों पर आज भी उतनी ही कारगर है कि जितनी तब थीं। जैसे कि देर है अंधेर नही और बुरे काम का बुरा नतीजा आदि-आदि आज की तारीख में ये सभी कैदी आसाराम पर बखूबी लागू होती हैं। क्योंकि कल तक जो जेल में भी आश्रम से आया खाना खाते थे सफेद लिबास में मौज मनाते थे तमाम सुविधायें पाते थे अब वो सभी बंद हुईं। इन सबकी जगह जल्द ही रह जायेगा जेल के लिबास में लिपटा आसाराम कैदी न. 130 जो अब न सिर्फ जेल की बनी रोटी खाऐगा बल्कि इसके ऐवज में काम के तौर पर पेड़ों को पानी भी पिलाऐगा।
गौरतलब है कि जेल मैनुअल के तहत नाबालिग से दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाला आसाराम अब जोधपुर जेल में पेड़- पौधों को पानी पिलाएगा। उसे कैदी नंबर 130 दिया गया है जिसके बाद अब उसे अपना सफेद चोगा छोड़कर कैदियों वाली वर्दी भी पहननी पड़ सकती है।
जैसा कि बताया जा रहा है कि सजा के बाद पहली रात आसाराम काफी बेचैन रहा और ढंग से खाना भी नहीं खा पाया। अब तक विचाराधीन कैदी होने के नाते उसके लिए आश्रम से खाना मंगाने की छूट थी, लेकिन अब उसे जेल की ही रोटी खानी पड़ेगी।
जिसके तहत देर शाम आसाराम को जेल में बनी दाल और रोटी दी गई लेकिन उसने नहीं खाई। इस बीच आसाराम की जमानत याचिका पर उसके वकीलो ने काम शुरू कर दिया है। यह याचिका आज या कल हाईकोर्ट में दायर की जा सकती है। जेल में बंद आसाराम को जेल में पौधों को पानी पिलाने का काम सौंपा जा सकता है। उसकी उम्र को देखते हुए उसे आसान काम दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि 2013 के इस मामले में बुधवार को जोधपुर की सेंट्रल जेल में लगी अदालत में जज मधुसूदन शर्मा ने आसाराम को आजीवन कारावास के अलावा 1 लाख रुपए का जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी वहीं उसके दो खास लोगों शिल्पी व शरतचंद्र को भी 20-20 साल कैद की सजा सुनाई थी।