लखनऊ। प्रदेश के बहुचर्चित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई 60 बच्चों की मौत मामले में आरोपी पूर्णिमा शुक्ला को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब उनकी जमानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी। डॉक्टर पूर्णिमा बीआरडी मेडिकल कालेज में होम्योपैथ विभाग से संबद्ध थीं और उन्होंने कालेज के कामकाज में कथित तौर पर हस्तक्षेप किया था।
गौरतलब है कि डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला को जमानत देने से मना करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए इस चरण में याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। इससे पूर्व, अदालत ने 30 अप्रैल, 2018 को डॉक्टर राजीव कुमार मिश्र की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उल्लेखनीय है कि ऑक्सीजन आपूर्ति में कथित तौर पर बाधा पैदा होने के चलते 10-11 अगस्त, 2017 को उस मेडिकल कालेज में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी।
हालांकि याचिकाकर्ता ने यह दलील देते हुए जमानत की अर्जी लगाई थी कि वह पिछले 7 महीने से जेल में है, जबकि इस मामले में अन्य सह आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है। हालांकि, जमानत याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है और याचिकाकर्ता की कथित भूमिका के चलते ही ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकी गई।
ज्ञात हो कि वकील ने आरोप लगाया कि कालेज के कामकाज में याचिकाकर्ता की अहम भूमिका रही है और उसके कथित इशारे पर ही कालेज के अधिकारियों ने कमीशन के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कंपनी का भुगतान रोका था। इसके परिणाम स्वरूप उस कंपनी ने ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकी जिससे उस अस्पताल में कई बच्चों की दर्दनाक मौत हुई। इसलिए, उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति कथित तौर पर बाधित होने से हुई 60 से अधिक बच्चों की मौत के संबंध में 23 अगस्त, 2017 को डाक्टर मिश्रा सहित 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इन 9 आरोपियों में से ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के निदेशक मनीष भंडारी और डॉक्टर कफील खान को जमानत मिल चुकी है।