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मिशन 2019 के तहत भाजपा की कवायद जारी, कई सांसदों का टिकट काटने की तैयारी

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नई दिल्ली। अपने मिशन 2019 के तहत भाजपा अपनी तरफ से कोई भी कसर नही छोड़ना चाहती है इसीलिए वो अपनी हर उस कोशिश में बखूबी जुटी है कि जिससे वो काफी हद तक 2014 के लोकसभा वाले चुनावों की सफलता को दोहरा सके या उससे भी आगे जा सके। भाजपा की इसी मुहिम के चलते अब तकरीबन सौ से अधिक भाजपा सांसदों पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि उनका फीडबैक अच्छा नही आ रहा है। हद तो ये है कि इनमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे सांसद हैं जो केन्द्रीय मंत्री भी हैं।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के 4 साल पूरे होते ही भाजपा में हर लोकसभा सीट की समीक्षा व तैयारी का काम शुरू कर दिया गया है।संघ व संगठन के फीडबैक, निजी एजेंसियों के सर्वे और नमो एप से हर क्षेत्र व हर सांसद की जानकारी जुटाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार हाल में सूरजकुंड में भाजपा के देश भर के सभी राज्यों के संगठन मंत्रियों की बैठक में अनौपचारिक विचार-विमर्श में भाजपा के 104 लोकसभा सांसदों की स्थिति को कमजोर माना गया है।

वैसे तो सांसद के कामकाज व जनता की राय को इसमें प्रमुख आधार माना गया है। लेकिन साथ ही पार्टी के विभिन्न राज्यों के संगठन मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों के आकलन में सांसदों के कामकाज और जनता में लोकप्रियता की कसौटी पर आंकड़ा तैयार किया है। सूत्रों के अनुसार हालांकि फिलहाल जहां इन सभी सांसदों को स्थिति बेहतर करने के लिए 6 माह का समय दिया जाएगा इस बीच 2 सर्वे करवाए जाएंगे। आखिरी सर्वे 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद किया जाएगा। वहीं इसके साथ ही वैकल्पिक उम्मीदवार की तलाश भी की जाएगी।

ज्ञात हो कि  मोदी भी नमो एप पर सांसदों के कामकाज की जनता से सीधे प्रतिक्रिया ले रहे हैं। जनता से सांसदों के कामकाज के साथ उनकी लोकप्रियता, क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय नेता की जानकारी जुटाई जा रही है। इसका आकलन संसद के मानसून सत्र से पहले किया जाएगा। सत्र दौरान संसदीय दल की बैठक में  मुलाकात करके भी प्रधानमंत्री सांसदों को उनकी स्थिति से अवगत करवा देंगे। इस बाबत सूत्रों का मानना है कि इन खराब रिपोर्ट कार्ड वाले सांसदों में भी सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के ही हैं

नई दिल्ली। अपने मिशन 2019 के तहत भाजपा अपनी तरफ से कोई भी कसर नही छोड़ना चाहती है इसिलिए वो अपनी हर उस कोशिश में बखूबी जुटी है कि जिससे वो काफी हद तक 2014 के लोकसभा वाले चुनावों की सफलता को दोहरा सके या उससे भी आगे जा सके। भाजपा की इसी मुहिम के चलते अब तकरीबन सौ से अधिक भाजपा सांसदों पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि उनका फीडबैक अच्छा नही आ रहा है। हद तो ये है कि इनमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे सांसद हैं जो केन्द्रीय मंत्री भी हैं।

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के 4 साल पूरे होते ही भाजपा में हर लोकसभा सीट की समीक्षा व तैयारी का काम शुरू कर दिया गया है।संघ व संगठन के फीडबैक, निजी एजेंसियों के सर्वे और नमो एप से हर क्षेत्र व हर सांसद की जानकारी जुटाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार हाल में सूरजकुंड में भाजपा के देश भर के सभी राज्यों के संगठन मंत्रियों की बैठक में अनौपचारिक विचार-विमर्श में भाजपा के 104 लोकसभा सांसदों की स्थिति को कमजोर माना गया है।

वैसे तो सांसद के कामकाज व जनता की राय को इसमें प्रमुख आधार माना गया है। लेकिन साथ ही पार्टी के विभिन्न राज्यों के संगठन मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों के आकलन में सांसदों के कामकाज और जनता में लोकप्रियता की कसौटी पर आंकड़ा तैयार किया है। सूत्रों के अनुसार हालांकि फिलहाल जहां इन सभी सांसदों को स्थिति बेहतर करने के लिए 6 माह का समय दिया जाएगा इस बीच 2 सर्वे करवाए जाएंगे। आखिरी सर्वे 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद किया जाएगा। वहीं इसके साथ ही वैकल्पिक उम्मीदवार की तलाश भी की जाएगी।

ज्ञात हो कि  मोदी भी नमो एप पर सांसदों के कामकाज की जनता से सीधे प्रतिक्रिया ले रहे हैं। जनता से सांसदों के कामकाज के साथ उनकी लोकप्रियता, क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय नेता की जानकारी जुटाई जा रही है। इसका आकलन संसद के मानसून सत्र से पहले किया जाएगा। सत्र दौरान संसदीय दल की बैठक में  मुलाकात करके भी प्रधानमंत्री सांसदों को उनकी स्थिति से अवगत करवा देंगे। इस बाबत सूत्रों का मानना है कि इन खराब रिपोर्ट कार्ड वाले सांसदों में भी सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के ही हैं। उसके बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक आदि राज्यों के हैं।

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