लखनऊ। आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतर करने की कोशिश और मोदी तथा भाजपा को हराने की ख़्वाहिश के चलते कांग्रेस जमकर मेहनत कर रही है इसी क्रम में उसने अपने प्रवक्ता के चयन के लिए अब काबिलीयत को पैमाना बनाया है जिसके लिए उसने बखूबी परीक्षा भी आयोजित की लेकिन उसमें भी वो ही हुआ जैसा कि अमूमन हर ऐसी परीक्षा में होता है। यानि जमकर नकल हुई और लोग यह कहते हुए बाहर आए कि इससे बेहतर होता कि वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर लेते।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कमेटी का मीडिया सेल भंग होने के बाद अब पार्टी ने प्रवक्ताओं की तलाश शुरू हो गई है। इस बार कांग्रेस पार्टी अपने प्रवक्ताओं का चयन लिखित और मौखिक परीक्षा के जरिए कर रही है, जैसा कि पहले गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में हो चुका है। 21 पदों के लिए 70 से अधिक कांग्रेसियों ने इंटरव्यू दिया।
इसी के चलते उत्तर प्रदेश कांग्रेस में प्रवक्ता पद के लिए परीक्षा आयोजित की गई। पार्टी नेताओं ने कहा परीक्षा लेने के पीछे पार्टी का मकसद अनर्गल बयानबाजी पर रोक लगाने का है। कांग्रेस कमेटी ने प्रवक्ता पद के लिए लिखित और मौखिक परीक्षा का आयोजन किया। राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी गुरुवार को प्रवक्ता पद का इंटरव्यू लेने लखनऊ आईं थीं।
वहीं सूत्रों की मानें तो परीक्षा देकर बाहर निकले कई लोग तो यह कहते हुए बाहर आए कि इससे बेहतर होता कि वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर लेते। परीक्षा देने वालों की मानें तो अधिकांश परीक्षाओं की तरह यहां भी खुल कर नकल हुई। बताया जा रहा है कि प्रवक्ता की औसत उम्र 40 वर्ष होगी और इसके लिए 25 साल से 50 साल तक के लोगों को रखे जाने की उम्मीद है।
इतना ही नही बल्कि परीक्षार्थियों ने परीक्षा के बाद पेपर को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद कांग्रेस में प्रवक्ता पद के लिए परीक्षा लेने की खबर से मीडिया के गलियारे में हड़कंप मच गया। इस लिखित परीक्षा में ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव दोनों तरह के सवाल पूछे गए थे।
बताया जाता है कि दोपहर 3:30 बजे राष्ट्रीय प्रवक्ता के आने के साथ लिखित परीक्षा का पर्चा बांटा गया। इसमें सवाल किए गए थे कि यूपी में कितने जिले, ब्लाक और मंडल हैं। साल 2004 और 2009 में पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं। वर्ष 2014 और 2017 में पार्टी को मिले वोट प्रतिशत से लेकर लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा सीट हैं।
दरअसल, प्रवक्ता पद के लिए पूछे गए सवालों में कई ऐसे सवाल थे, जो पार्टी की मूलभूत जानकारी और उसकी नीतियों से जुड़े थे। इस बार कांग्रेस ने उन प्रवक्ताओं को चुनने का फैसला किया है, जो मीडिया के सामने पार्टी की नीतियां, उसके इतिहास और उसके पुराने फैसलों को अच्छी तरह पेश कर सकें। इसके साथ ही उन्हें वर्तमान मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए यूपीए सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन और उसके लाभ की जानकारी हो।