नई दिल्ली। भारतीय सेना के बहादुर एवं जांबाज शेरों की कारवाई के चलते अब काफी हद तक पहली बार कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की कमर टूट चुकी है वो काफी हद तक अब बेबस हो चलें हैं क्योंकि भारतीय सुरक्षा बलों ने एक के बाद एक उनके प्रमुख सिपहसलारों को जहां ढेर कर दिया वहीं पाकिस्तान और घाटी में ही मौजूद तमाम उनके मददगारों से उनको मिलने वाली मदद भी काफी हद तक न के बराबर रह गई है।
गौरतलब है कि अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक भारत के दबाव में पाकिस्तान अब आतंकियों की पहले जैसी मदद नहीं कर पा रहा है यही नहीं अखबार में यह बी खुलासा किया है कि आतंकी कश्मीर में दो साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाते हैं। इसकी बहुत बड़ी वजह सुरक्षा बलों का लगातार आतंकियों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान है।
बताया जा रहा है कि कश्मीर घाटी में अब 250 आतंकी ही बचे हैं। इनकी संख्या 20 साल पहले 1000 से ज्यादा होती थी। कश्मीर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर रफी बट को उसके आतंकी बनने के बाद 40 घंटे के अंदर मार गिराया गया।
“पाकिस्तान में हुए राजनीतिक बदलाव का असर कश्मीर पर जरूर पड़ेगा। यहां लड़ाई छोटी जरूर होगी, लेकिन खून-खराबा बढ़ने की आशंका भी रहेगी। फिलहाल कश्मीर घाटी में सेना के ढाई लाख से ज्यादा जवान, बॉर्डर सिक्युरिटी फोर्स और पुलिसकर्मी तैनात हैं।” न्यूयॉर्क टाइम्स ने कश्मीर वॉर गेट्स स्मालर, डर्टियर एंड मोर इंटिमेट शीर्षक से एक एनालिसिस प्रकाशित किया है।
इतना ही नही बल्कि अखबार ने ये भी लिखा है कि सैन्य अधिकारियों का हवाला देते हुए लिखा है कि ज्यादातर आतंकी ऑटोमैटिक हथियारों से मारे जा रहे हैं। फिलहाल 250 आतंकियों में 50 से ज्यादा पाकिस्तान से आए हैं। बाकी स्थानीय निवासी हैं, जिन्होंने अब तक घाटी नहीं छोड़ी।
इसके अलावा रिपोर्ट में आगे बताया गया है, “पुलिस की मानें तो 1990 के दौर में कश्मीरी युवा सीमा पार करके आसानी से पाकिस्तान चले जाते थे। अब ऐसा नहीं है। आतंकियों को अब गोलाबारी की ट्रेनिंग लेने की जगह भी नहीं मिल रही।”