लखनऊ। लोकसभा चुनाव का नजदीक आना और उत्तर प्रदेश की सियासत पर मंदिर का रंग चढ़ते जाना काफी हद तक तय बात है। लेकिन बेहद ही दिलचस्प बात तो ये है कि भाजपा के राम मंदिर के जवाब में अब समाजवादी पार्टी ने भगवान विष्णु के मंदिर का शिगूफा छोड़ दिया है।
गौरतलब है कि लोहिया और समाजवाद की दुहाई देने वाली समाजवादी पार्टी की की अब ऐसी नौबत आई कि उसे भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए न सिर्फ धार्मिक मुद्दे का सहारा लेना पड़ गया बल्कि बड़ा ऐलान तक करना पड़ा।
हालांकि सनद रहे कि कुछ वक्त पहले प्रदेश के एक जनपद में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इसका संकेत देते हुए बोले थे कि भाजपा का मुकाबला वो उसके ही हिसाब से करेंगे इतना ही नही उन्होंने ये भी कहा था कि संभव है भाजपा के राम के मुकाबले वो कृष्ण का सहारा लेंगे।
जानकारों की मानें तो काफी हद तक उसकी ही बानगी है कि जो अब भारतीय जनता पार्टी पर पलटवार के लिए समाजवादी पार्टी धार्मिक मुद्दे का सहारा लेगी। दरअसल आज सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव जीतने पर इटावा में भगवान विष्णु के नाम से सिटी बनवाने की घोषणा की है।
इतना ही नही इस सिटी में कंबोडिया के अंकोरवाट की तरह भगवान विष्णु का भव्य मंदिर व उसके आसपास आवासीय बस्तियां भी होंगी। इससे पहले अखिलेश इटावा में भगवान कृष्ण की 60 फीट ऊंची प्रतिमा लगवा चुके हैं। अखिलेश के इस बयान को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के राममंदिर निर्माण को लेकर दिए गए उनके बयान पर पलटवार माना जा रहा है।
इस बाबत बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि यदि प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो वह इटावा में लायन सफारी के पास करीब दो हजार एकड़ भूमि पर भगवान विष्णु के नाम पर एक सिटी का विकास करेंगे, जहां भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनवाएंगे। कहा कि चंबल क्षेत्र में काफी जमीन है।
ज्ञात हो कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने बयान में कहा था कि राज्यसभा में उनका बहुमत होता तो वह राम मंदिर निर्माण के लिए विधेयक लाते। अखिलेश के मंदिर निर्माण को उप मुख्यमंत्री के दिए गए इस बयान के परिपेक्ष्य में जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि उस वक्त अखिलेश ने पलटवार करते हुए यह भी कहा है कि भाजपा षड्यंत्र में यकीन करती है और समाजवादी पार्टी विकास में। वे लोगों को बरगला कर उनके वोट हासिल करना चाहते हैं, जबकि हमें अपने विकास कार्यों पर भरोसा है। अखिलेश ने अगले माह कन्नौज से “हक और सम्मान” साइकिल यात्रा शुरू करने की घोषणा भी की है।
जिसके तहत इस यात्रा के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही है। हालांकि, अभी इसकी तारीख घोषित नहीं की गई है। 2019 के चुनाव से पहले ऐसे बयानों के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। दलितों से लेकर सभी वर्गों में राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीके से सेंध लगाने की कोशिशें करती नजर आ रही हैं।
कंबोडिया में अंकोरवाट मंदिरों की एक श्रृंखला है। करीब 162.6 हेक्टेयर में फैले इस मंदिर की प्राचीन शिल्पकारी को देखने दुनियाभर से पर्यटक पहुंचते हैं। इन मंदिर में पूजा नहीं होती है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में बना था।