लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के मिशन 2019 को काफी हद तक झटका देने वाली खबर है कि पार्टी से अलग हुए उनके चाचा शिवपाल ने ये ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी प्रदेश की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। यानि अब कार्यकर्ताओं का और तमाम नेताओं का भी बंटवारा हो जाना तय है। जिसके चलते दोनों ही खेमों में जमकर जोर आजमाईश होगी और जाहिर है इससे तो पूरी भाजपा की ही ख्वाहिश होगी।
गौरतलब है कि सपा के पूर्व कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव शुक्रवार को यूपी के बागपत जनपद पहुंचे यहां उन्होंने कहा, जो माहौल हमें मिल रहा है, उससे साफ है कि लोगों में काफी उत्साह है और बड़ी संख्या में लोग हमारे साथ हैं। उन्होंने आगे कहा पार्टी के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता लोगों से मिलकर आगे बढ़ेंगे।
वहीं इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए शिवपाल ने कहा कि नेताजी के साथ मिलकर बड़े ही अरमानों से पार्टी बनाई थी। अब इसके टूटने का दुख है। लेकिन बावजूद इसके भी हमने परिवार को जोड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन, बेइज्जती की हद होती है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में नवगठित सेक्युलर मोर्चा सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। तो शिवपाल ने जवाब में कहा कि हम सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और इसी तरह पदाधिकारी गांव-गांव में घूमकर लोगों से मिलेंगे।
वहीं जानकारों की मानें तो फिलहाल शिवपाल को अपने नवगठित सेक्युलर मोर्चा के लिए राजनीतिक ताकत जुटाना आसान नहीं होगा। क्योंकि जनपद बागपत ही नही बल्कि अशिकांश क्षेत्रों में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा उनके पिता मुलायम सिंह यादव और प्रोफेसर राम गोपाल यादव के करीबियों की संख्या ज्यादा है। इसलिए सेक्युलर मोर्चा का भविष्य क्या होगा यह भी अभी किसी को नहीं पता। लेकिन लंबे समय से चल रही खींचतान से आखिरकार यादव परिवार के रास्ते अलग-अलग हो गए।
भले ही सपा अध्यक्ष अखिलेश समेत तमाम समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल के अलग होने से कोई फर्क न पड़ने की बात कर रहे हों लेकिन इस बात को भी नकारा नही जा सकता है कि समाजवादी पार्टी में शिवपाल सिंह के तीखे तेवरों ने दिग्गज सपा नेताओं में खलबली मचा दी है। माना जा रहा है कि भले ही लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा का गठबंधन हो जाए, लेकिन सपा की चुनौती कम होने वाली नहीं है।
माना जा रहा है कि सपा तो सपा बल्कि बसपा के प्रत्याशी वाली सीट पर मुकाबले में शिवपाल की पार्टी का उम्मीदवार मुकाबले में होगा ही। सपाई ही दो धड़ों में बंटे नजर आ सकते हैं। फिलहाल पार्टी से जुड़े कुछ दिग्गज सपाई शिवपाल ही नहीं बल्कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की गतिविधि पर भी अपनी नजरें गढ़ाए हैं। क्योंकि काफी नेता ऐसे भी है जो शिवपाल के प्रति हमदर्दी तो रखते हैं लेकिन मुलायम से सीधे जुड़े हैं उनकी मजबूरी है कि जिधर मुलायम होंगे उनको उधर ही रहना होगा।
इसी बीच शिवपाल सिंह यादव के पुत्र प्रादेशिक कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) के चेयरमैन आदित्य यादव ने भी घुमा-फिराकर यह जाहिर कर दिया कि समाजवादी सेकुलर मोर्चा शिवपाल गुट के उन लोगों के लिए बना है जिन्हें अखिलेश सरकार के दौरान दरकिनार कर दिया गया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बड़ी मेहनत से रात-दिन एक करके पार्टी खड़ी करने वाले कार्यकर्ता अपने को अछूत महसूस कर रहे हैं और आहत हैं। आदित्य गुरुवार को यहां अशोक नगर में शिवपाल सिंह फैंस एसोसिएशन की प्रांतीय बैठक में शिरकत करने आए थे।