डेस्क। समाजवादी कुनबे में सबसे अहम मुलायम फिलहाल जारी कुनबे की कलह और अपनी अनदेखी से आहत होकर हालांकि वैसे तो खुद ही यह कह चुके हैं कि शायद मेरे मरने के बाद लोग मेरी भी इज्जत करें। वहीं अब सूत्रों की मानें तो ऐसा माना जा रहा है कि कल तलक मुलायम की हर बात को सिर आंखों पर रखने वाले उनके छोटे भाई शिवपाल ने पहली बार उनकी बात मानने से इंकार कर दिया है।
गौरतलब है कि जैसा कि माना जा रहा था कि श्री कृष्णजन्माष्टमी के दिन शिवपाल और अखिलेश के बीच एक बार फिर मेल कराने के लिए प्रयास किये जाऐंगे। जिसकी बानगी ही थी कि अचानक अखिलेश ने अपना इंदौर का कार्यक्रम रद्द कर दिया था। दरअसल इटावा में जन्माष्टमी के दौरान पूरा कुनबा इकटठे इस अवसर पर भव्य आयोजन करता है। इसलिए इस दौरान शिवपाल की वापसी के भी कयास और प्रयास दोनों ही जारी थे।
हालांकि उस दौरान ऐसा कुछ भी नही हुआ। लेकिन सुगबुगाहटों का दौर फिर भी जारी ही रहा। सूत्रों के अनुसार आखिरकार ऐसी नौबत आई भी और शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह से उनके निजी आवास पर मुलाकात की। इस दौरान नेताजी ने उनके सामने सुलह का प्रस्ताव रखा, लेकिन शिवपाल यादव ने सेक्युलर मोर्चे को आगे बढ़ाने की बात कही। जाहिर सी बात है कि मौजूदा हालातों में सुलह हो पाना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन सा था।
ज्ञात हो कि इससे पहले शिवपाल ने जारी एक बयान में कहा था कि जो कदम मैंने आगे बढ़ा लिया है, वो बढ़ गया है। आज तक मैंने जो भी काम किया है वो डंके की चोट पर किया है। अब हमारा मोर्चा एक्टिव मोड पर आ गया है। ऐसे में वापस लौटना नामुमकिन है।
शिवपाल ने कहा कि आज तक मेरी पक्षधरता या समर्पण असंदिग्ध और स्पष्ट रही है। मैंने 30 साल तक लगातार संघर्ष किया है। खून पसीने से समाजवादी पार्टी का गठन किया। लेकिन वहां मेरी, नेताजी मुलायम सिंह यादव और लाखों समाजवादी साथियों की उपेक्षा हो रही थी। आहत होकर मैंने सेक्यूलर मोर्चे का गठन किया है।
इतना ही नही शिवपाल ने ट्विटर पर अपनी बायो भी बदल दी है। शिवपाल ने ट्विटर पर समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा का नेता लिखा है, जबकि इससे पहले वो सपा का सीनियर नेता लिखते थे। इतना ही नहीं उन्होंने ट्विटर पर अखिलेश यादव को अनफॉलो कर दिया है।