लखनऊ। प्रदेश पुलिस के मुखिया ओ. पी. सिंह द्वारा अभी कल ही विवेक हत्याकाण्ड के आरोपी सिपाहियों के समर्थन में सोशल मीडिया पर जारी जिस मुहिम को बेबुनियाद बताया जा रहा था। आज उसका जिस तरह से असर देखने को मिला वो कहीं न कहीं उनके सूचना तंत्र की कमी को दर्शाता है। क्योंकि शुक्रवार सुबह डीजीपी के आदेशों को ताक पर रखते हुए लखनऊ के कुछ सिपाहियों ने शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर विरोध किया। इस मामले को हल्के में ले रहे विभाग के अफसरों में इसको लेकर हड़कम्प मच गया।
बेहद गंभीर और हद की बात ये है कि उन्होंने चेतावनी दी कि निलंबन के विरोध में वह जेल भर देंगे। इन सबके बीच शाम को डीजीपी ओपी सिंह के आदेश पर चिन्हित किये गए तीन सिपाहियों को विरोध करने पर सस्पेंड कर दिया गया। जबकि तीन थाना प्रभारी जिनके यहां विरोध प्रदर्शन हुआ उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया। जिसमे गुडंबा, अलीगंज और नाका थाना शामिल हैं।
गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से कई पुलिस जवान सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे थे। 5 अक्टूबर को सिपाहियों ने काटी पट्टी बांध कर ब्लैक डे मनाने का भी निर्णय लिया था, लेकिन एक दिन पहले ही डीजीपी ओपी सिंह ने फरमान जारी किया कि अगर विरोध हुआ तो कार्रवाई की जाएगी, लेकिन प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ही सिपाहियों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। यहां कई थानों में हाथ पर काली पट्टी बांध कर सिपाहियों ने अपना विरोध दर्ज कराया है।
पुलिसकर्मियों ने कहा हमें सस्पेंड होने से डर नहीं लगता। कितने इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टरों व कांस्टेबलों को सस्पेंड करेंगे। हम लोग पुलिस लाइन व जेल को भर देंगें। गुडंबा के अलावा अलीगंज, नाका थाने पर भी सिपाहियों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया है।
डीजीपी ओपी सिंह की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पुलिस ढाई लाख जवानों का बल है। कुछ सिपाहियों द्वारा विरोध करना उसे विद्रोह नहीं कहते। जिन्होंने इस तरह की तस्वीरें सोशल मीडिया में डाली हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।