डेस्क। आपने अनेक बड़े और सिद्ध मंदिरों के दर्शन किये होंगे उनमें से अधिकांश की यात्रा दुर्गम ही रही होगी भले ही आज के दौर में दिन ब दिन इन यात्राओं को सुगम बनाया जा रहा है। क्या कभी आपने जाना कि आखिर क्यों ऐसे धाम और मंदिर ऊचे पहाड़ों पर ही क्यों स्थित हैं। अगर नही तो आइये हम आपकी इस जिज्ञासा को शांत करने की एक कोशिश करते हैं।
गौरतलब है कि आपने कई प्रमुख तीर्थस्थलों के दर्शन किए होंगे और शायद कभी सोचा भी होगा कि पहाड़ों पर ही मंदिर क्यों बनाए जाते हैं। वहां की धार्मिक मान्यता ज्यादा क्यों है? उन जगहों पर ऐसी क्या शक्ति है कि लोग खिंचे चले आते हैं। जैसे कि चामुंडा टेकरी, विंध्यवासिनी, वैष्णोदेवी, पावागढ़, बमलेश्वरी देवी, सत्पश्रृंगी देवी, मैहर देवी सहित ऐसे अनेकों मंदिर हैं, जो पहाड़ों पर बने हुए हैं। इसके साथ ही बद्रीनाथ, केदारनाथ, अमरनाथ आदि मंदिर भी एकांत पहाड़ी में बनाए गए हैं।
दरअसल पहाड़ों पर मंदिर बनाने के पीछे एक धारणा और अद्भुत विज्ञान है। क्योंकि पहाड़ी एक तरह से पिरामिड की तरह होती है। विज्ञान इस बात की पुष्टि कर चुका है कि पिरामिड में सराकात्मक ऊर्जा अधिक होती है। वहीं, पहाड़ों स्थानों पर भी सकारात्मक ऊर्जा अन्य स्थानों से अधिक पाई जाती है। पहाड़ों पर दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को उस सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव महसूस होता है और उनका मन अध्यात्म में लगता है। इसके अलावा साधना के लिए मन एकाग्र होना चाहिए। लिहाजा, पहाड़ी जगहों पर मंदिरों के निर्माण की यह भी एक वजह है।