नई दिल्ली। हालीवुड के बाद अब भारत में जारी “# मी टू” अभियान के तहत आरोपों के घेरे में आईं तमाम नामचीन हस्तियां अब धीरे धीरे इसके चलते अचानक पैदा हुई असहज स्थिति से न सिर्फ उबरने लगी हैं बल्कि बखूबी इन आरोपों का सामना करने में भी जुट गई हैं। जिसके तहत अभी हाल ही में संस्कारी बाबू आलोकनाथ ने इस मामले में कोर्ट जाने की बात की थी।
वहीं अब मोदी सरकार में कबीना मंत्री एम जे अकबर ने भी इस पर न सिर्फ अपनी चुप्पी तोंड़ी बल्कि ये भी कहा कि मुझ पर लगे सभी आरोप गलत और मनगढ़ंत हैं। मेरे खिलाफ लगाए गए दुर्व्यवहार के आरोप झूठे और निराधार हैं। ये आरोप द्वेष भावना से लगाए गए हैं। मैं आधिकारिक टूर पर देश से बाहर था इसलिए पहले जवाब नहीं दे पाया।
इतना ही नही उन्होंने कहा कि उनपर लगाए गए यौन शोषण के आरोपों के खिलाफ वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। आखिर यह मीटू तूफान आम चुनाव के कुछ महीने पहले ही क्यों उठा? क्या ये कोई अजेंडा है? इन झूठे और आधारहीन आरोपों ने मेरी प्रतिष्ठा और सद्भावना को क्षति पहुंचाई है। झूठ के पैर नहीं होते और वह जहरीला भी नहीं होता जिसे आसानी से धोया जा सकता है। अकबर ने कहा कि कुछ तबको में बिना किसी सबूत के आरोप लगाने की बीमारी सी हो गई है। अब मैं वापिस आ गया हूं और आगे क्या कानूनी कार्रवाई की जाए, इसके लिए मेरे वकील योजना तैयार करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने इस कैंपेन को साल भर पहले एक मैगजीन में आर्टिकल लिखकर शुरू किया था। उन्होंने मेरा नाम तक नहीं लिया क्योंकि वह जानती हैं कि यह एक मनगढ़ंत कहानी है। जब उनसे हाल में पूछा गया तो उन्होंने मेरा नाम क्यों नहीं लिया। उन्होंने एक ट्वीट के जवाब में लिखा- उनका नाम कभी नहीं लिया क्योंकि उन्होंने कुछ भी नहीं किया था।
ज्ञात हो कि सात महिलाओं ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। आरोप लगने के कुछ दिन बाद तक एमजे अकबर कोई सफाई पेश नहीं कर सके थे। कुछ समय पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद से एमजे अकबर पर लगे आरोपों के बारे में सवाल किए गए थे लेकिन दोनों ने सवालों को टाल दिया था।
जबकि इस मामले में, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई नेताओं ने एमजे अकबर पर लगे आरोपों के बारे में बयान दिया था। अमित शाह ने कहा कि अकबर के खिलाफ लगे आरोपों की जांच होगी। यह देखना होगा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है। उन्होंने कहा, ‘यह देखना जरूरी है कि आरोप सच हैं या गलत।’ एमजे अकबर पर सवाल पूछे जाने के बाद स्मृति ईरानी ने कहा था कि इस मुद्दे पर संबंधित व्यक्ति का ही बोलना बेहतर होगा क्योंकि मैं व्यक्तिगत तौर पर वहां मौजूद नहीं थी।