नई दिल्ली। “#मीटू” कैंपेन के चलते आरोपों से घिरे केन्द्र की मोदी सरकार के मंत्री एम जे अकबर द्वारा हालांकि आरोपों को कोर्ट में चुनौती दी गई थी लेकिन उनका ये कदम उस वक्त आत्मघाती साबित हो गया जब कल होने वाली सुनवाई के पहले ही तकरीबन डेढ़ दर्जन महिलाओं द्वारा उनके खिलाफ आवाज उठाई जाने लगी। जिसके चलते आज उनको इस्तीफा देना पड़ा। वहीं कांग्रेस ने इसको सच की जीत करार देते हुए आवाज उठाने वाली महिलाओं की जमकर तारीफ की है।
गौरतलब है कि अनुचित व्यवहार और यौनशोषण के आरोपों से घिरे केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एम. जे. अकबर ने आखिरकार बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अकबर पर 20 महिलाओं ने अनुचित व्यहार या यौनशोषण का आरोप लगाया था। इस्तीफे के बाद अकबर ने एक बयान में कहा कि चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं। इससे पहले रविवार को अपने आधिकारिक विदेश दौरे से वतन वापसी पर अकबर ने बयान जारी कर आरोपों पर अपना पक्ष रखा था।
उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताया था। अकबर ने आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में मानहानि का केस भी किया है। रमानी ने अकबर के इस्तीफे पर खुशी जताई है। रमानी ने ट्वीट कर लिखा, ‘एक महिला होने के नाते मुझे एमजे अकबर के इस्तीफे से सुकून मिला है। मुझे उम्मीद है कि हमें अदालत में भी न्याय मिलेगा।’
जबकि वहीं कांग्रेस ने यौन शोषण के आरोपों से घिरे एमजे अकबर के विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने को ‘सच की ताकत की जीत’ करार दिया और कहा कि वह उन महिलाओं को सलाम करती है जिन्होंने आवाज उठाई थी। इस मामले में कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि एमजे अकबर के खिलाफ कई वरिष्ठ महिला पत्रकारों ने गंभीर आरोप लगाए थे जो उनके साथ काम कर चुकी हैं। उनका इस्तीफा सच की ताकत की अभिपुष्टि और जीत है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मैं उन महिलाओं को सलाम करती हूं जो सत्ता के अहंकार के सामने डट कर खड़ी रहीं। प्रियंका ने आरोप लगाया कि धमकाना और डराना मोदी सरकार में आवाज दबाने का जरिया बन चुका है।