Sunday , April 21 2024
Breaking News

पंचक में रावण दहन: एक पल में कर गया ऐसा छल कि उल्लास का माहौल गमी में गया बदल

Share this

डेस्क। देश में पंचक में रावण का दहन महज एक पल में कर गया ऐसा छल कि जश्न का माहौल गमी में गया बदल। जी जैसा कहा जाता है कि रावण की मृत्यु भी पंचक में हुई थी। इसी के चलते पंचक दोष निवारण के लिए पंचक में रावण दहन के समय उसके साथ पांच पुतलों का दहन किया जाता है। अन्यथा ये रावण दहन के स्थान के आसपास के लोगों और स्थान के लिए घातक संभव हो सकता है। और इसकी बानगी कल अमृतसर में हम सभी को बखूबी देखने को मिली जब रावण दहन स्थल के पास ही ऐसा खौफनाक हादसा हुआ जिसमें तकरीबन पांच दर्जन से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी। वहीं दर्जनों लोग गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं। हद की बात तो ये है कि उक्त हादसे में दस सालों से रावण का किरदार निभाने दलबीर सिंह भी मृत्यु को प्राप्त हो गए।

अमृतसर ट्रेन हादसे का एक और खौफनाक सच सामने आया, जिसने सभी को चौंका दिया। पता चला है कि हादसे में ‘रावण’ भी मारे गए, जो उस वक्त ट्रैक पर ही मौजूद थे। इस खबर को सुनकर लोगों के होश उड़ गए। मृतक की पहचान दलबीर सिंह के रूप में हुई है। इस समय दलबीर का परिवार सदमे में है। दलबीर 10 साल से रावण का किरदार निभा रहे थे और कल वे घर से जल्दी निकल गए थे, ये कहकर कि उन्हें राम और लक्ष्मण को तैयार करना है। दरअसल 19 अक्तूबर 2018 का दिन, दशहरे का त्योहार और जश्न का माहौल, पर उस समय मातम छा गया, जब पंजाब के अमृतसर में ट्रैक पर खड़े होकर जलते रावण को देख रहे लोगों को ट्रेन रौंदकर गुजर गई। पल भर में 61 लोगों की मौत हो गई, 70 से ज्यादा घायल हो गए। भयावह मंजर पसर गया और देखते ही देखते चीख-पुकार मच गई।

एक चश्मदीद ने बताया, हादसे के पहले जौड़ा फाटक से अन्य दो ट्रेनें भी गुजरीं, तब लोग ट्रैक से हट गए। इसके बाद जब रावण जल रहा था, तब डेमू ट्रेन 74943 गुजरी। लोग पटाखों की आवाज के कारण हॉर्न नहीं सुन पाए और बचने का मौका नहीं मिला। रेलवे इतिहास में ऐसा भीषण हादसा कभी नहीं हुआ। वहीं महानिदेशक रेलवे जनसंपर्क दीपक कुमार ने अमर उजाला से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि हादसे के पहले जब ट्रेन यहां गुजरी उस वक्त लोग ट्रैक से हट गए थे। लेकिन जब दूसरी बार ट्रेन आई तो लोग समझ नहीं पाए और ये दर्दनाक हादसा हुआ। बताया जाता है कि आतिशबाजी के शोर के कारण लोगों को जालंधर से आती ट्रेन के हॉर्न की आवाज सुनाई नहीं दी। उन्होंने दावा किया कि इस ट्रेन के जालंधर से अमृतसर जाने से पहले भी दो ट्रेनें पटरियों से गुजरी लेकिन उन्होंने अपनी गति धीमी कर ली थी।

गौरतलब है कि भले ही हम आधुनिकता का कितना ही बखान करें लेकिन हमारी बहुत सी मान्यतायें भी अपनी जगह पर  हमारी भलाई की ही मार्गदर्शक हैं। अगर इस मिथक को ध्यान में लोगों ने रखा होता तो भी संभवतः वे सभी अपनी तरफ से ही सजग होते। इसके अलावा लापरवाह प्रशासन भी कुछ तो अपनी जिम्मेदारी को समझता। लेकिन सभी समय के अनुरूप काल के चक्र में फंस गये। क्योंकि सबसे अहम बात है कि उक्त स्थल पर जब तकरीबन  दोे दशक से हमेशा ही कार्यक्रम इसी प्रकार से होता रहा है फिर अचानक से ऐसा होना। कहीं न कहीं तमाम गलतियों और अनदेखियों तथा लापरवाहियों के अलावा इस ओर भी इशारा करती है कि ग्रहों की चाल ही बन गई उन सभी का काल।

ज्ञात हो कि रावण दहन इस बार पंचकों में होना था। इसके दोष निवारण को दशहरे पर रावण के पुतले के पांच ओर पांच पुतले जलाए हाने थे। क्योंकि पंचक में अग्नि दाह अशुभ होता है। इससे बचने के लिए पंचक दोष निवारण क्रिया के बाद दाह का विधान है। पूर्व में भी जब-जब रावण दहन पंचक में हुआ है, तब पंचक दोष निवारण क्रिया की जाती है। तमाम जानकारों का मानना है कि दोष निवारण न कराने पर परिवार, आस-पड़ोस एवं क्षेत्र में अनिष्ट की प्रबल संभावना होती है। दशहरे पर रावण के अकेले पुतले का दहन अशुभ होता है ऐसे में इसीलिए इसके निदान के तहत पांच छोटे पुतले बनाकर क्रियानुसार रावण के विशालाकाय पुतले के साथ ये पांच छोटे पुतले दहन किए जाते हैं। जिससे पंचक दोष निवारण क्रिया के संपन्न हो सके।

Share this
Translate »