नई दिल्ली. सकल राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए केंद्र सरकार सरकारी संपत्ति बेचने की योजना बना रही है. सरकार के निकटस्थ सूत्रों की मानें तो सरकार अब 15.7 अरब डॉलर यानी 1 खरब रुपये की रकम जुटाने के लिए सरकारी संपत्तियों को बेच सकती है. यह काम सरकार आम चुनाव से पहले करेगी.
इन्वेस्टमेंट बैंकर्स और अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस साल बड़े पैमाने पर विनिवेश करने के बाद अरुण जेटली की ओर से 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए फाइनैंशल इयर में भी बड़े पैमाने पर विनिवेश का लक्ष्य रखा जा सकता है.
सरकारी रिफाइनिंग कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम ऐंड कॉपोर्रेशन लिमिटेड के 51 पर्सेंट शेयरों को ओएनजीसी द्वारा खरीदने समेत तमाम विनिवेश समझौतों से सरकार ने इस साल 925 अरब रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. हाल ही में ओएनजीसी ने 369 रुपये में एचपीसीएल के शेयरों को खरीदने पर सहमति जताई है. उम्मीद की जा रही है कि ओएनजीसी और एचपीसीएल के बीच डील इस महीने के अंत तक हो जाएगी.
इस डील के चलते सरकार को बजट तक विनिवेश के जरिए 725 अरब रुपये जुटाने में मदद मिलेगी. बीते 8 सालों में यह पहला मौका होगा, जब भारत विनिवेश के अपने लक्ष्य से आगे निकल जाएगा. जीएसटी लागू होने के बाद से टैक्स कलेक्शन में कमी होने के चलते सरकार ने इस फाइनैंशल इयर में सरकारी कंपनियों में विनिवेश की गति को बढ़ा दिया है.
सरकार ने इस साल के लिए राजकोषीय घाटे को कुल जीडीपी के 3.2 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य लिया है. इसके अलावा अगले साल के लिए यह टारगेट 3 फीसदी का ही रखा गया है.