नई दिल्ली। रॉफेल डील को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका चूकना नही चाहती है। जिसकी बानगी है कि आज राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दासौ के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने मंगलवार को न्यज एजेंसी एएनआई को अपना एक साक्षात्कार में राफेल डील में घोटाले की बात को सिरे से इंकार कर दिया है। लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस अपनी ही जिद पर अड़ी है।
गौरतलब है कि मीडिया को दिए इंटरव्यू में ट्रैपियर ने कहा कि राफेल डील में दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस ज्वाइंट वेंचर के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट को लेकर मैंने झूठ नहीं बोला। ट्रैपियर ने कहा कि हमने खुद रिलायंस कंपनी को चुना था। इसके अलावा 30 साझेदार और हैं। एरिक ट्रैपियर के इंटरव्यू के बाद भी कांग्रेस खुद को सही बताने में जुटी है इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फिर एक बार पीएम पर निशाना साधा है। छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अनिल अंबानी के साथ फ्रांस गए और एचएएल से राफेल का अनुबंध छीन कर उन्हें दे दिया।
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए ट्रैपियर ने कहा कि मैं झूठ नहीं बोलता। मैंने जो बात पहले कही और जो बयान दिया वो बिल्कुल सहीं हैं। मैं झूठ बोलने के लिए नहीं जाना जाता मेरे पद पर आप झूठ नहीं बोल सकते। गौरतलब है कि 2 नवंबर को एख प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दसॉल्ट एविएशन ने घाटे में चल रही अनील अंबानी की कंपनी को जमीन खरीदने के लिए 284 करोड़ रुपये निवेश के तौर पर दिए है। राहुल गांधी ने सीधे आरोप लगाया कि इसमें प्रधानमंत्री सीधे शामिल है।
साथ ही कांग्रेस ने ट्रैपियर के इंटरव्यू को ‘कहलवाया हुआ’ इंटरव्यू बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कहलवाए गए इंटरव्यू और गढ़े हुए झूठ राफेल घोटाले की सच्चाई को दबा नहीं सकते। कानून का पहला नियम बराबरी के लाभार्थी और सह आरोपी के स्टेटमेंट का कोई महत्व नहीं। एरिक ट्रैपियर ने कहा कि हमने पहले कांग्रेस पार्टी के साथ भी सौदा किया था। राहुल गांधी के आरोपों से हमे बहुत दुख पहुंचा है।ट्रैपियर ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी के साथ हमारा काम करने का लंबा अनुबव रहा है।
ट्रैपियर से जब पूछा गया कि रिलायंस जिसके पास फाइटर जेट बनाने का कोई अनुभव नहीं है उसे ऑफसेट पार्टनर क्यों बनाया? इसका जवाब देते हुए ट्रैपियर ने कहा कि सीधा पैसा रिलायंस में नहीं निवेश किया गया है बल्कि ये एक ज्वाइंच वेंचर में किया गया है जिसमें दसॉल्ट भी शामिल है।। जहां तक इस डील के औद्योगिक हिस्से की बात है यह दसॉल्ट के इंजीनियर और कर्मचारियों के नेतृत्व में होगा। हमारे साथ ही रिलायंस जैसी एक कंपनी भी है। जो अपने देश के विकास के लिए इस ज्वाइंट वेंचर में पैसे लगा रही है। इससे रिलायंस को जानकारी मिलेगी की एयरक्राफ्ट कैसे बनाते हैं।
ज्ञात हो कि जबकि एरिक ट्रैपियर ने अपने इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस की सरकारों के साथ भी उनकी कंपनी ने काम किया है। हमारी पहली डील 1953 में प्रधानमंत्री नेहरू के साथ थी। इसके बाद हमने कई प्रधानमंत्रियों के साथ डील की। हम भारत के साथ काम कर रहे हैं। किसी पार्टी के साथ नहीं। हम भारतीय वायुसेना और भारत सरकार को सामरिक उत्पाद जैसे लड़ाकू विमान सप्लाई कर रहे हैं, यहीं महत्वपूर्ण है। लेकिन राहुल गांधी का बयान निराश करने वाला है।