Saturday , April 20 2024
Breaking News

हाशिमपुरा कांडः 31 साल बाद 16 में से 4 दोषियों का कोर्ट में आत्मसमर्पण, बाकी को NBW जारी

Share this

नई दिल्ली।  देश में जैसे न्याय दिलाये जाने की एक लहर सी चल रही है क्योंकि दशकों से लटके और अटके मामलों में अब बखूबी काम हो रहा है। जिसकी बानगी है कि 1984 के सिख दंगों के दो आरोपियों को जहां सजा सुना दी गई है। वहीं अब तकरीबन 31 साल पहले हुए हाशिमपुरा काण्ड में भी जल्द ही दोषी आरोपियों को सलाखों के पीछे तो जाना ही होगा बल्कि सख्त सजा से भी दो चार होना होगा।

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 31 साल पुराने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी ठहराए गए 16 में से 4 पीएसी के जवान गुरुवार को तीस हजारी कोर्ट में आत्मसमर्पण के लिए पहुंचे। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए 16 पीएसी जवानों को 22 नवंबर तक सरेंडर के लिए कहा था।

मिली जानकारी के मुताबिक आज हाशिमपुरा दंगा मामले में यूपी पीएसी के 4 जवानों ने दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट में किया सरेंडर,कोर्ट ने बाकी बचे 12 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया  है। दोषियों ने स्मिता गर्ग के कोर्ट में सरेंडर किया। सोलह में से चार जवान निरंजन लाल , महेश , समीउल्ला, जैपाल ने सरेंडर किया है।

इतना ही नही बल्कि दिल्ली पुलिस के जवानों ने चारों आरोपियों को हिरासत में लेकर इन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने हाशिमपुरा नरसंहार पर सभी सोलह जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसमें से एक की मृत्यु हो चुकी है बाकी पंद्रह में चार ने आज सरेंडर किया।

ज्ञात हो कि 31 साल बाद मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 अक्तूबर बड़ा फैसला सुनाया था। सभी 16 आरोपी पीएसी जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 1987 के इस मामले में आरोपी पीएसी के 16 जवानों को 42 लोगों की हत्या और अन्य अपराधों के आरोपों से बरी करने के तीन साल पुराने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।

जिस पर उत्तर प्रदेश राज्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और नरसंहार में बचे जुल्फिकार नासिर सहित कुछ निजी पक्षों की अपीलों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने छह सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इसके साथ ही तत्कालीन गृह राज्य मंत्री पी चिदंबरम की इस मामले में कथित भूमिका का पता लगाने के लिए आगे जांच की मांग को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा। 28 साल चले मुकदमे में 21 मार्च 2015 को तीस हजारी कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपी 16 जवानों को बरी कर दिया था।

Share this
Translate »