नई दिल्ली। चुनावी सरगर्मियों के बीच अजब नेताओं में मतदाताओं को लुभाने के लिए गजब होड़ लगी है। हर कोई तरह-तरह का हथकंडा अपना रहा है। इसी क्रम में अब कांग्रेस अध्यक्ष राहल गांधी आज सोमवार को राजस्थान में चुनावी दौरे के दौरान अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जियारत करने के साथ ही तीर्थराज पुष्कर में पूजा-अर्चना करने भी पहुंचे। इतना ही नही पूजा के दौरान उन्होंने बखूबी अपना गोत्र भी उजागर किया।
दरअसल राजस्थान विधानसभा चुनाव अभियान के तहत कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव सभाओं को संबोधित करने आए राहुल गांधी ने अपने दौरे की शुरुआत अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज़ के दर पर माथा टेक कर की। इसके बाद राहुल गांधी ने पुष्कर के ब्रह्म सावित्री घाट और ब्रह्मा मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना के दौरान खुद को कौल ब्राह्मण बताते हुए दत्तात्रेय गोत्र के नाम से पूजा की। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर उनका गोत्र ना बताने का आरोप लगाया था। संबित पात्रा ने पिछले दिनों कहा था कि राहुल अपने गौत्र के बारे में जानकारी सार्वजनिक करे।
बताया जाता है कि आज सोमवार सुबह राहुल गांधी ने ख्वाजा साहब की दरगाह पहुंच विधानसभा चुनाव में जीत की दुआ मांगी। सैयद अब्दुल गुर्देज ने उन्हें जियारत कराई। राहुल गांधी ने मजार शरीफ पर मखमली चादर और अकीदत के फूल पेश किए। वे करीब 10 मिनट तक आस्ताने में रुके, खादीम ने उनकी दस्तारबंदी कर तबरूक भेंट किया। इससे पहले दरगाह में मुख्य द्वार पर खादिमों की संस्था अंजुमन द्वारा राहुल गांधी का इस्तकबाल किया गया। इसके बाद वे बुलंद दरवाजे होते हुए आस्ताने शरीफ पहुंचे। यहां उन्होंने खादिमों के साथ कुछ देर चर्चा भी की।
इसके ठीक बाद राहुल गांधी ने पुष्कर सरोवर के ब्रहम् सावित्री घाट पर पूजा-अर्चना की। पूजा के दौरान गांधी-नेहरू परिवार के पंडित राजनाथ कौल एवं दीनानाथ कौल ने राहुल गांधी से उनका गोत्र पूछा तो उन्होंने कौल ब्राहम्ण दत्तात्रेय गोत्र बताया। राहुल गांधी ने घाट पर ही पंडितों के पास अपने पूर्वजों के रिकॉर्ड भी देखे । राहुल गांधी ने दुनिया के एकमात्र ब्रहमा मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद पंडितों के साथ कुछ देर बातचीत की। पंडितों ने बताया कि इससे पहले 14 जून, 2004 को सोनिया गांधी यहां पूजा करने आई थीं। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला और पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट भी राहुल गांधी के साथ थे।
वहीं राहुल के इस कदम को लेकर तमाम जानकारों का कहना है कि उन्होंने दरगाह और पुष्कर की यात्रा कर हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं में संदेश देने का प्रयास किया है। ख्वाजा साहब की दरगाह के प्रति पूरी दुनिया में आस्था है। वहीं, दुनिया का एकमात्र ब्रहमा मंदिर पुष्कर में स्थित है। यहां पूरे देश से तीर्थयात्री आते रहते हैं। पुष्कर सरोवर को काफी पवित्र माना गया है। इन दोनों स्थानों पर पहुंचकर राहुल गांधी ने हिंदू-मुस्लिम दोनों मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है।