नई दिल्ली! भारत का अब तक का सबसे भारी-भरकम उपग्रह जीसैट-11 सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया है. इसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियानेस्पेस के एरियाने-5 रॉकेट से फ्रेंच गुआना से प्रक्षेपित किया गया. उच्च प्रवाह क्षमता वाले इस संचार उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने किया है. दक्षिण अमेरिका के पूर्वोत्तर तटीय इलाके में स्थित फ्रांस के अधिकार वाले भूभाग फ्रेंच गुयाना के कौरू में स्थित एरियन प्रक्षेपण केन्द्र से भारतीय समयानुसार तड़के दो बजकर सात मिनट पर रॉकेट ने उड़ान भरी. एरियन-5 रॉकेट ने बेहद सुगमता से करीब 33 मिनट में जीसैट-11 को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया.
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि इसरो के सबसे भारी, अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-11 का आज तड़के फ्रेंच गुयाना में स्पेसपोर्ट से सफल प्रक्षेपण हुआ. एजेंसी ने बताया कि करीब 30 मिनट की उड़ान के बाद जीसैट-11 अपने वाहक रॉकेट एरियन-5 से अलग हुआ और जियोसिंक्रोनस (भूतुल्यकालिक) ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित हुआ. यह कक्षा उपग्रह के लिए पहले से तय कक्षा के बेहद करीब है.
इसरो के प्रमुख के. सिवन ने सफल प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘‘भारत द्वारा निर्मित अब तक के सबसे भारी, सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली उपग्रह का एरियन-5 के जरिये आज सफल प्रक्षेपण हुआ.’’ उन्होंने कहा कि जीसैट-11 भारत की बेहरीन अंतरिक्ष संपत्ति है. इसरो द्वारा बनाए गए इस उपग्रह का वजन करीब 5,854 किलोग्राम है. यह अत्याधुनिक और अगली पीढ़ी का संचार उपग्रह है जिसे इसरो के आई-6के बस के साथ कंफिगर किया गया है. इसका जीवन काल 15 साल या उससे ज्यादा होने का अनुमान है.
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि जीसैट-11 के एरियन-5 से अलग होने के बाद कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो की मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने उपग्रह का कमांड और नियंत्रण अपने कब्जे में ले लिया. एजेंसी के मुताबिक जीसैट-11 बिलकुल ठीक है. उपग्रह को फिलहाल जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया गया है. आगे वाले दिनों में धीरे-धीरे करके चरणबद्ध तरीके से उसे जियोस्टेशनरी (भूस्थिर) कक्षा में भेजा जाएगा. जियोस्टेशनरी कक्षा की ऊंचाई भूमध्य रेखा से करीब 36,000 किलोमीटर होती है.
इसरो ने बताया कि जीसैट-11 को जियोस्टेशनरी कक्षा में 74 डिग्री पूर्वी देशांतर पर रखा जाएगा. उसके बाद उसके दो सौर एरेज और चार एंटिना रिफ्लेक्टर भी कक्षा में स्थापित किए जाएंगे. कक्षा में सभी परीक्षण पूरे होने के बाद उपग्रह काम करने लगेगा.
इसरो के मुताबिक जीसैट-11 भारत की मुख्य भूमि और द्वीपीय क्षेत्र में हाई-स्पीड डेटा सेवा मुहैया कराने में मददगार साबित होगा. उसमें केयू बैंड में 32 यूजर बीम जबकि केए बैंड में आठ हब बीम हैं.सिवन का कहना है कि यह उपग्रह भारत में 16जीबीपीएस डेटा स्पीड मुहैया करा सकेगा. उन्होंने बताया कि चार संचार उपग्रहों के माध्यम से देश में 100 जीबीपीएस डेटा स्पीड मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. इस श्रेणी में जीसैट-11 तीसरा उपग्रह है.
कितना विशालकाय है यह उपग्रह
– 5,854 किलोग्राम है जीसैट-11 उपग्रह का वजन
– 04 मीटर हैं इसके हरेक सौर पैनल की लंबाई
– 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा स्थापित
– 15 साल से अधिक होगा इसका जीवनकाल
– 500 करोड़ रुपये लगभग है इसकी लागत
इंटरनेट की रफ्तार बढ़ाने में मददगार
40 ट्रांसपॉण्डर लगे हैं इस उपग्रह में कू-बैंड और का-बैंड आवृत्तियों में
14 गीगाबाइट प्रति सेकंड की दर से डाटा भेजने में सक्षम हैं ये ट्रांसपॉण्डर
-इस तरह यह उच्च बैंडविड्थ संपर्क प्रदान करने में सक्षम है
-इससे देश में इंटरनेट की रफ्तार में उल्लेखनीय सुधार आएगा
-सूचना तकनीक के और उन्नत उपकरण बनाए जा सकेंगे
-ग्राम पंचायतों तक को इसके जरिये कवर किया जा सकेगा, जिससे ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा
-ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ताओं के डाटाबेस का संचालन करने में इससे मदद मिलेगी