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सोनिया गांधी ने किया करुणानिधि की मूर्ति का अनावरण, महागठबंधन की दिखी ‘झलक’

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नई दिल्ली! चेन्नई में डीएमके के पूर्व प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर सोनिया गांधी समेत कई विपक्ष के नेता पहुंचे. द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पार्टी मुख्यालय में सोनिया गांधी का स्वागत किया. द्रमुख मुख्यालय ‘अन्ना अरियावलम’ में करुणानिधी के आदमकद कांस्य प्रतिमा का अनावरण सोनिया गांधी ने किया. इसके साथ ही राहुल गांधी समेत वहां मौजूद सभी नेताओं ने करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी.

मौका मूर्ति अनावरण का था, लेकिन यहां से बीजेपी नीत एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनने की कवायद भी शुरू हो गई. दरअसल इस समारोह में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा, रजनीकांत, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू, समेत कई विपक्षी दिग्गज नेता मौजूद थे. मूर्ति अनावरण के बहाने विपक्षी दलों को एक बार फिर मंच साझा करने का अवसर मिला.

करुणानिधि की मूर्ति को डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुराई की मूर्ति के बगल में स्थापित किया गया. इस साल 7 अगस्त को डीएमके के पूर्व अध्यक्ष और 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने वाले 93 वर्षीय एम करुणानिधि का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. करुणानिधि के निधन के बाद एम के स्टालिन को डीएमके की कमान मिली.

1957 में करुणानिधि पहली बार विधायक चुने गए थे. 1967 के चुनावों में उनकी पार्टी ने बहुमत हासिल किया था और अन्नादुराई तमिलनाडु के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे. तमिलनाडु में डीएमके के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस आज तक वहां एक सहयोगी से ज्यादा का अस्तित्व नहीं बना पाई. 1967 के बाद राज्य में डीएमके या AIADMK का ही शासन रहा.

करुणानिधि साल 1969, 1971, 1989, 1996 और 2006 में पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने 1957 में कुलिथालाई से सफलतापूर्वक अपना पहला चुनाव लड़ा था और उसके बाद से उन्होंने 13 चुनावों में कभी भी हार का सामना नहीं किया.

गौरतलब है कि करुणानिधि अपनी बीमारी की वजह से पिछले दो सालों से सार्वजनिक जगहों पर नहीं दिखाई पड़े थे इसके बावजूद वे डीएमके के अध्यक्ष पद पर थे. करुणानिधि की तबियत अक्टूबर 2016 से लगातार खराब थी. दक्षिण की राजनीति में लंबे समय तक अपनी अलग पहचान रखने वाले करुणानिधि अपने निधन से कुछ दिनों पहले ही बतौर पार्टी अध्यक्ष 50 साल पूरे किए थे.

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