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कमलनाथ और कांग्रेस दोनों की मुसीबतें बढ़ना जारी, आने वाले वक्त में पड़ सकती हैं बहुत भारी

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कमलनाथ और कांग्रेस दोनों की ही मुसीबतें बढ़ना बखूबी जारी हैं। अगर समय रहते हालातों को सम्हाला नही गया तो आने वाला समय दोनों के लिए बहुत ही भारी है। क्योंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी सम्हालते ही जहां कमलनाथ ने यूपी और बिहार के लोगों के खिलाफ बयान देकर वैसे ही बैठे बिठाये एक पंगा ले लिया था। वहीं अब तमाम विधायक अपने मंत्री न बनाये जाने से जहां बेहद आहत हैं वहीं उन्होंने इस बात को लेकर लामबंदी भी शुरू कर दी है। जिसके परिणाम आने वाले समय में गंभीर होने से इंकार नही किया जा सकता है।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार और कांग्रेस  नई चुनौती का सामना कर रही है। दिलचस्प बात है कि ये चुनौती उन्हें कोई बाहरी नही बल्कि उनके अपने ही नेता दे रहे हैं। दरअसल मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज तमाम नेता न सिर्फ बगावत पर आमादा हो चुके हैं बल्कि लामबंद भी हो रहे हैं। जिसके तहत जहां बदनावर सीट से कांग्रेस के विधायक राजवर्धनसिंह दत्तीगांव ने पार्टी पर वंशवाद के नाम पर हक मारने का आरोप लगाया है।  राजवर्धनसिंह दत्तीगांव ने कहा कि क्षेत्र की जनता को इस बार उनके मंत्री बनने की उम्मीद थी मगर वंशवाद की वजह से उनका हक छीन लिया गया।

उनहोंने बेहद ही सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि मैं इस अन्याय का बदला इस्तीफे से दूंगा उन्होंने कहा कि मंत्री बनने का मुझे शौक नहीं बल्कि यह मेरा हक है। अगर मैं किसी बड़े नेता या पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा होता तो जरूर मंत्री बनता। बदनावर सीट से राजवर्धनसिंह दत्तीगांव ने 41 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। इतना ही नही बल्कि इनके साथ ही  कांग्रेस के नाराज विधायक केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह समेत 10 विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं। वह राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रख सकते हैं। कांग्रेस विधायक और वरिष्ठ नेता केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह के समर्थकों ने पार्टी को तीन दिनों का अल्टीमेटम देते हुए अपने नेता को मंत्री बनाए जाने की मांग की है।

इसी प्रकार सुमावली से ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मदन शर्मा ने कंसाना को मंत्री नहीं बनाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है।  यह तीनों ही नेता दिग्विजय सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वहीं सिंधिया जहां गृह और परिवहन विभाग तुलसी सिलावट को दिलवाना चाहते हैं जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ की पसंद राजपुर विधायक बाला बच्चन है। अनुभव और वरिष्टता का हवाला देकर दिग्विजय सिंह डॉ. गोविंद सिंह को गृह विभाग दिलाने पर अड़े हैं। इसके अलावा दिग्विजय सिंह अपने बेटे और राघोगढ़ के विधायक बने जयवर्धन सिंह को वित्त विभाग देने की वकालत कर रहे हैं। कुल मिलाकर जो मौजूदा हालात हैं वो कहीं न कहीं किसी बड़े खतरे का इशारा कर रहे हैं।

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