नई दिल्ली। गरीबी कहें या कहें नवजात की बदनसीबी कि जिसने पैदा किया उसने ही अपनी मुफलिसी का हवाला देते हुए उसका सौदा कर दिया वहीं जिसने उसे खरीदा उसने भी अगले ही दिन उस नन्ही परी को आगे बेच दिया। हद है कि जिस नन्ही परी ने अभी इस दुनिया में आकर ठीक से अपनी आंखे भी नही खोली अफसोस कि उसकी ही लगा दी गई एक नही बल्कि दो बार बोली। ये वो कड़वी हकीकत है हमारे उस तथाकथित सभ्य समाज की जिसमें ऐसा हुआ।
गौरतलब है कि देश की राजधानी और तमाम अति विशिष्ट लोगों से परिपूर्ण दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में एक गरीब मां ने अपनी तीन दिन की बच्ची को 1.25 लाख रुपये में किसी महिला को बेच दिया। यही नहीं, अगले दिन इस महिला ने नवजात को पांच लाख रुपये में ग्वालियर में रहने वाले एक व्यक्ति को बेच दिया। हालांकि मामला दिल्ली महिला आयोग के सामने आने पर दोनों खरीदारों के खिलाफ मंगोलपुरी थाने में मानव तस्करी की एफआईआर दर्ज कराई गई है।
बताया जाता है कि आयोग की सदस्या किरण नेगी को 3 जनवरी को शिकायत मिली थी कि मंगोलपुरी में तीन दिन की बच्ची को बेचा गया है। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके पड़ोस में रहने वाली महिला ने बीते नवंबर में एक बच्ची को जन्म दिया था। महिला ने जन्म के तीन दिन बाद अस्पताल में ही अपनी बच्ची को 1.25 लाख रुपये में किसी महिला को बेच दिया था। आयोग के सामने आरोपी मां ने भी बच्ची को बेचने की बात कबूल की। उसका कहना था कि पति शराबी व बेरोजगार है।
उसने ये भी कहा कि मुझे रुपयों की जरूरत थी, इसीलिए बच्ची को बेच दिया। महिला ने बताया कि बच्ची को खरीदने वाली महिला फर्टिलिटी क्लीनिक में काम करती है। इसके बाद आयोग ने बच्ची को खरीदने वाली महिला से संपर्क किया। मगर उसने बच्ची को आगे ग्वालियर में किसी दूसरे व्यक्ति को पांच लाख रुपये में बेच दिया था। हालांकि, वह उसका नाम और पता नहीं बता पाई।
इसके बाद आयोग की टीम दोनों महिलाओं को मंगोलपुरी थाने ले गई, जहां पुलिस उपायुक्त के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर दर्ज की गई। मगर पुलिस ने एफआईआर में बच्ची के माता-पिता का नाम शामिल नहीं किया। आयोग ने बच्ची के माता-पिता का नाम रिपोर्ट में नहीं जोड़ने और कोई गिरफ्तारी न करने पर पुलिस को नोटिस भेजा है। लेकिन वहीं इस मामले ने एक बार फिर हमारे सभ्य समाज को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि 21वीं सदी में पहुंचने का हमारा दावा हकीकत है कि महज एक छलावा।