रामपुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने एक कमीशंस की रपट का हवाला देते हुए कहा कि उसके मुताबिक तमाम मुसलमानों के हालात काफी हद तक दलितों से भी बद्तर हैं। ऐसे में सरकार उनके लिए आरक्षण कितने फीसदी रखेगी। साथ ही मांग की है कि आर्थिक रूप से पिछड़ें मुसलमानों को कम से कम 5 फीसदी आरक्षण दिया जाए।
गौरतलब है कि आरक्षण के मसले पर आजम खां ने कहा है कि कुछ दिन पहले आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश और राजस्थान में उग्र प्रदर्शन हुए थे। सरकारी इमारतों और अमले को तोड़ा और नुकसान पहुंचाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा संज्ञान भी लिया था। यह दबाव का आरक्षण है।
उन्होंने कहा कि हमें यह जानना है कि जो अगड़ों को, सवर्णों को, जो माली तौर पर बदहाल हैं या आर्थिक पिछड़े है, उनमें सबसे ज्यादा पिछड़ा है वह दलित से भी बदतर है। कमीशंस की भी रिपोर्ट है जिनमें कहा गया है कि दलितों से भी बदतर हालात में मुसलमान है। हमें यह जानना है कि यह संविधान में जो बदलाव हो रहा है उसमें देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी जिसकी हालात बदहाल है और जिनके साथ भारतीय जनता पार्टी और दूसरी फासिस्ट्स ताकतों का रव्वया बहुत बुरा है।
वहीं सरकार से सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि इस रिजर्वेशन में उन मुसलमानों का जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं उनके लिए कितने प्रतिशत होगा। हमारे खयाल से दोनों को 5-5 पर्सेंट दिया जाना चाहिए। क्योंकि जो संविधान ला रहे हैं उसमें 8 लाख सालाना रुपये और 5 एकड़ जमीन तक जबकि मुसलमानों के पास 5 गज जमीन भी नहीं है, उनका हक तो बहुत ज्यादा बनता है।
इसके साथ ही कहा कि अगर इस संवैधानिक बदलाव में देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के बारे में विचार नहीं हो रहा है तो इस रिजर्वेशन का मतलब क्या है। यह तो चुनाव के वक्त एक बार फिर कम्युनल कार्ड खेला जा रहा है। अगर आपको रिजर्वेशन देना था तो 4 साल पहले देते। 1 साल पहले ही दे देते।रिजर्वेशन का लाभ आपके रहते तो मिलेगा नहीं। आपको यह मालूम है। और अगर हो भी जाए तो विधि विशेषज्ञों का कहना है सुप्रीम कोर्ट में ऐतराज हो सकता है लेकिन हमें हमारा हिस्सा मिलना चाहिए।