हमारा स्वास्थ्य इस पर ही निर्भर नहीं करता है कि हम कितना पौष्टिक भोजन खाते हैं, यह भी मायने रखता है कि हमारा शरीर उस भोजन को कितना पचा पाता है और उनमें से पोषक तत्वों को कितनी मात्रा में अवशोषित कर पाता है. आंतें हमारे पाचन तंत्र का सबसे प्रमुख भाग हैं. हमारे द्वारा खाए भोजन का पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से यहीं होता है. इसलिए आपनी आंतों समस्याओं और उनकी पहचान करना जरूरी है. साथ ही कोई समस्या न हो इसकी रोकथाम के उपाय जानना भी बेहद जरूरी है-
आंतें क्यों हो जाती हैं बीमार-
हम जो भी खाते-पीते हैं, उसका पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से छोटी और बड़ी आंत में ही होता है. यहीं सबसे अधिक पोषक तत्व अवशोषित होते हैं. बड़ी आंत में पानी अवशोषित होता है और छोटी आंत में मिनरल, विटामिन और दूसरे तत्व. आंतों के बीमार होने से न केवल भोजन का पाचन, बल्कि पोषक तत्वों का अवशोषण भी प्रभावित होता है. आंतों को बीमार बनाने की कुछ प्रमुख वजह हैं….
‘शरीर की जरूरत से अधिक खाना.
‘रात में भारी और गरिष्ठ भोजन करना.
‘सुबह का नाश्ता न करना. भोजन में लंबा अंतराल रखना. खाने के बाद ज्यादा तरल पदार्थ लेना.
‘अधिक तला-भुना और मसालेदार खाना’शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना.
‘तनाव और अनिद्रा.
आंतों में गड़बड़ी का असर-
आंतों की सामान्य कार्यप्रणाली गड़बड़ाने का प्रभाव हमारे हृदय, मस्तिष्क, इम्यून सिस्टम, त्वचा, वजन, शरीर में हार्मोन के स्तर आदि पर भी पड़ता है. इससे पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होने से लेकर कैंसर विकसित होने की आशंका भी बढ़ जाती है. आंतों की खराबी के कारण निम्न स्वास्थ्य जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है:
इन संकेतों को नजर अंदाज न करें- मल त्यागने की आदतों में बदलाव होना. डायरिया या कब्ज चार सप्ताह से अधिक रहना. मल में रक्त आना. लगातार पेट में बैचेनी होना, जैसेकि पेट में मरोड़ होना, गैस बनना या दर्द होना. पेट में हर समय भारीपन महसूस होना. तेजी से वजन कम होना. ब्रश करने के बाद भी मुंह से तेज दुर्गंध आना. पेट साफ न रहना. भूख न लगना.
कुछ भी खाने के बाद मल त्यागने जाना. रात में पेट दर्द होना या बढ़ना. आंतों के अच्छे बैक्टीरिया का ख्याल रखें .
हमारे पाचन तंत्र में बैक्टीरिया बड़ी आंत में और छोटी आंत के पिछले भाग में पाए जाते हैं. आहार नाल, पेट और छोटी आंत के अग्र भाग में पाचक रसों और एंजाइम के कारण बैक्टीरिया नहीं पाए जाते हैं. उपयोगी बैक्टीरिया हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं. ये एंजाइम उत्पन्न करते हैं, जो भोजन पचाने में मदद करते हैं. हमारे शरीर के लिए आवश्यक विटामिन बी और विटामिन के उत्पन्न करते हैं, ये हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ते हैं. संक्रमण से बचाते हैं और आंत की अंदरूनी परत की रक्षा करते हैं.
अत्यधिक तनाव, पूरी नींद नहीं लेने, वसा और शुगर का अधिक सेवन और अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स लेने से हमारी आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन प्रभावित होता है, इनसे बचें. फायबर युक्त भोजन और दही का सेवन करें.
आंतों को ऐसे रखें स्वस्थ-
अधिक तला-भुना, मसालेदार खाना न खाएं. .
तनाव का पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. तनाव से दूर रहने की कोशिश करें. .
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, नियमित रूप से व्यायाम और योग करें.
खाने को धीरे-धीरे और चबा कर खाएं. दिन में तीन बार भरपेट खाने की बजाए कुछ-कुछ घंटों के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं..
खाने के तुरंत बाद न सोएं. थोड़ी देर टहलें. इससे पाचन ठीक होगा. पेट नहीं फूलेगा..
अपनी बॉयोलॉजिकल घड़ी को दुरुस्त रखने के लिए एक निश्चित समय पर खाना खाएं. .
चाय, कॉफी, जंक फूड और कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक कम लें. संतुलित भोजन करें. .
धूम्रपान और शराब से दूर रहें. .
अपने भोजन में अधिक से अधिक रेशेदार भोजन को शामिल करें. .
प्तिदिन सुबह एक गिलास गुनगुने पानी का सेवन करें..
सर्वांगासन, उत्तानपादासन, भुजंगासन जैसे योगासन करने से आंतें स्वस्थ्य रहती हैं..
पानी अधिक मात्रा में पिएं, ताकि विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल सकें और शरीर में कोई संक्रमण हो, तो वो भी बाहर निकल सके..
भरपूर नींद लें, नींद की कमी से पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है, जिससे भोजन ठीक प्रकार से नहीं पचता और पेट में अधिक
मात्रा में गैस बनती है.