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आतंकी जीनत का पिता बोला- यह रोने या मातम मनाने की नहीं बल्कि फक्र की बात है

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श्रीनगर। घाटी में ऐसे ही नही आतंकवाद और आतंकवादी पूरी तरह से नेस्तनाबूद नही हो पा रहा है क्योंकि तमाम ऐसे भी लोगहैं जो उनकी जड़ों में बखूबी पानी तो देते ही हैं बल्कि उसको बढ़ावा देने में कोई कसर नही छोड़ते हैं। जिसकी बानगी एक बार फिर उस वक्त देखने को मिली जब जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकी जीनत उल इस्लाम के पिता ने जनाजे के दौरान लोगों को संबोधित किया, जिसका वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वह कह रहा है कि यह मेरे लिए रोने या मातम मनाने की बात नहीं है। यह फख्र की बात है। वह जिस मकसद से निकला था वह हम हासिल करके रहेंगे।

गौरतलब है कि आतंकी जीनत उल इस्लाम के पिता ने कहा कि अक्तूबर 2005 में जीनत घर से बाहर निकला था। इसके बाद लगभग ढाई साल तक कश्मीर से बाहर ही रहा। कश्मीर से बाहर का मतलब है लोलाब गया था। शोपियां से लगभग 150 किलोमीटर दूर लोलाब है। वह ढाई साल तक वहीं रहा, लेकिन वह कैसे रहा तथा किस वजह से रहा, इसका मुझे पता नहीं। ढाई साल बाद उसके साथ रहने वाला आदमी (गाइड) घर आया और उसका नंबर दिया। उस जमाने में फोन उतना अधिक नहीं था। इस वजह से किसी से फोन लेकर बात करता था। फोन कॉल ट्रैप होने के बाद भी उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे मुझे कोई हानि होती। एक समय सिडको कैंप में मेजर मेरे सामने था, फिर भी मैंने उससे बात की।

ज्ञात हो कि  28 वर्षीय जीनतुल इस्लाम नवंबर 2015 में लश्कर में भर्ती हुआ था। वो आईईडी एक्सपर्ट माना जाता है। 2008 में इस्लाम को पहली बार गिरफ्तार किया गया था और अल-बद्र का सदस्य होने के चलते उसपे पीएसए लगाया गया था। वह अल-बद्र के लिए एक ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्लू) के रूप में काम कर रहा था। जबकि सूत्रों के अनुसार उसे 2011 में रिलीज किया गया था जिसके बाद उसने एलईटी में शामिल होने से पहले कुछ समय के लिए अपने पिता के साथ काम किया। स्थानीय मस्जिद में उसके पिता इमाम थे। इतना ही नही बल्कि सेना ने उसे ए++ केटेगरी की आतंकियों की लिस्ट में रखा हुआ था।

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