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EVM पर सवाल उठाने वाले लोकतंत्र को कमजोर करने रच रहे हैं साजिश:पूर्व CEC

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नई दिल्ली! पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ( CEC ) एस. वाई. कुरैशी का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM ) भारत के लोकतंत्र के लिए अनोखी मशीन हैं और जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं वे संदेह के बीज बोने और लोकतंत्र को कमजोर करने के षडयंत्र का प्रचार कर रहे हैं.

आगामी लोकसभा चुनाव कराने में निवार्चन आयोग की चुनौतियों के संबंध में कुरैशी ने कहा कि भारत में स्वतंत्र व निरपेक्ष चुनाव कराने में धनबल की भूमिका सबसे बड़ी चुनौती है.EVM   में छेड़छाड़ के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल फरियादी की भूमिका निभा रहे हैं और पिछले चुनावों में अपनी जीत या हार के आधार पर आरोप लगाते हैं. कुरैशी ने उन्होंने  एक साक्षात्कार में कहा, क्या आपने कभी सुना है कि जीतने वाली पार्टी ईवीएम पर सवाल उठाती है.” कुरैशी 1971 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए थे और वह भारत के 17वें मुख्य चुनाव आयुक्त बने. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बार-बार ईवीएम पर साजिश की थ्योरी बुनने वालों को चुनौती दी है.

उन्होंने कहा, किसी पार्टी ने इस हेकाथन चुनौती का स्वीकार नहीं किया है. इसके बजाए वे मतदाताओं के मन में संदेह के बीज बोने के षडयंत्रों का प्रचार कर रहे हैं. इस प्रकार वे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी ने अभी-अभी ‘द ग्रेट मार्च ऑफ डेमोक्रेसी : सेवन डिकेड्स ऑफ इंडियाज इलेक्शन’ नामक किताब प्रकाशित की है. पुराने मत-पत्र प्रणाली के मुकाबले EVM  के लाभ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हैकिंग का कोई भी आरोप अब तक साबित नहीं हुआ है और राजनीति से प्रेरित दावे हास्यास्पद पाए गए हैं.

उन्होंने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने 2013 में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई वीवीपैट की पहल की तारीफ की, जिसका मकसद मतदाताओं के मन के संदेह को दूर करना था. इसने केंद्र सरकार को इसके लिए पर्याप्त धन प्रदान करने के लिए भी कहा. 2015 से कई राज्यों में चुनाव हुए हैं. तब से 1,500 मशीनों से मतदाता पर्ची का मिलान किया जा चुका है और एक में भी कोई अंतर नहीं पाया गया है. कुरैशी ने बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त अपने कार्यकाल के दौरान 2010 से 2012 के बीच कई चुनावी सुधार किए. उन्होंने मतदाता शिक्षा प्रभाग, खर्च निगरानी प्रभाग बनाए और राष्ट्रीय मतदाता दिवस शुरू किया. कुरैशी ने पेंगुइन द्वारा प्रकाशित अपनी किताब में लोकसभा के 16 चुनाव और राज्यों की विधानसभाओं के 400 से अधिक चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की प्रशंसा की है.

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