नई दिल्ली। दुनिया में दौलत से अमीर तो बहत मिल जाते हैं लेकिन दिल के अमीर बहुत कम ही मिल पाते हैं। दुनिया के दौलत के साथ ही दिल से भी अमीर शख़्सियतों में से एक अजीम प्रेमजी ने एक बार फिर अपनी दरियादिली को साबित कर दिया। दरअसल अजीम प्रेमजी ने विप्रो में अपनी शेयरहोल्डिंग का अतिरिक्त 34% हिस्सा परोपकार के लिए देने का फैसला किया है। इन 34 प्रतिशत शेयरों की कीमत 7.5 बिलियन डॉलर (52,750 करोड़ रुपये) के आसपास बताई जा रही है।
गौरतलब है कि अमेरिकी बिजनेस पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक वर्ष 1999 से 2005 तक अजीम प्रेमजी भारत के सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं। अजीम प्रेमजी देश की बड़ी आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन हैं। उनकी सबसे खास बात ये है कि वे फ्लाइट की इकोनॉमी क्लास में सफर करना पसंद करते हैं। परोपकार संबंधी एक हालिया रिपोर्ट के हवाले में बताया गया है कि देश के सबसे अमीर लोग पांच साल पहले के मुकाबले अब कम परोपकार कर रहे हैं। ऐसे समय में अजीम प्रेमजी का यह रकम देने का फैसला सराहनीय है।
बेहद ही सराहनीय और लोगों के लिए प्रेरणा देने वाली बात ये है कि विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन जहां प्रेमजी फ्लाइट की इकोनॉमी क्लास में सफर करना पसंद करते हैं वहीं लग्जरी होटलों की जगह कंपनी गेस्ट हाउस में ठहरना पसंद करते हैं। ज्ञात हो कि अजीम प्रेमजी का जन्म मुंबई के एक गुजराती मुस्लिम परिवार में 24 जुलाई 1945 को हुआ था। लगभग 52750 करोड़ के शेयर दान करने का फैसला करने वाले अजीम प्रेमजी अब तक 1.45 लाख करोड़ रुपये दान कर चुके हैं। अमेरिकी बिजनेस पत्रिका फोर्ब्स के मुताबिक वर्ष 1999 से 2005 तक अजीम प्रेमजी भारत के सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं।
अजीम प्रेमजी के परिवार में पत्नी यास्मिन और दो बच्चे रिषाद और तारिक हैं। रिषाद विप्रो में ही काम करते हैं। वर्ष 1966 में प्रेमजी के पिता एम.एच. प्रेमजी का निधन हो गया था, इसके बाद उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। महज 21 साल की उम्र में उन्होंने पारिवारिक कारोबार अपने हाथों में ले लिया था। प्रेमजी ने जब कारोबार संभाला उस समय उनकी कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट कंपनी हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल आयल बनाती थी।
प्रेमजी की अगुवाई में साबुन तेल बनानी वाली वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल ने विप्रो का रूप लिया। विभिन्न उत्पादों के साथ ही विप्रो ने आईटी क्षेत्र में अपना खास मुकाम बना लिया। सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान के लिए साल 2005 में भारत सरकार के अजीम प्रेमजी को पद्म भूषण से सम्मानित किया था। प्रेमजी की संस्था ‘दि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ गरीब बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने में योगदान देती है। प्रेमजी का मानना है कि गुणवत्ता, लागत और डिलीवरी में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उत्कृष्टता के बारे में सोचना चाहिए और जब तक हम उन मानकों से ऊपर ना चले जाएं, चैन से ना बैठे।
अजीम प्रेमजी की फाउंडेशन तीन क्षेत्रों में काम करती है। इनमें सरकारी स्कूलों का स्तर बेहतर करना, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में पढ़ रहे छात्रों को ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी देना और अन्य क्षेत्रों से जुड़े गैर-लाभकारी काम। उनके योगदान से 150 से ज्यादा संस्थाओं को आहार, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं और मानवतस्करी जैसे मुद्दों पर काम करने में मदद मिली है।