हस्तरेखा शास्त्र के अंतर्गत हथेली की विभिन्न रेखाओं का अध्ययन किया जाता है। हथेली की इन रेखाओं का अध्ययन भविष्य के बरे में बताने के लिए किया जाता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली की रेखाओं के अलावे हथली पर स्थित विभिन्न चिन्हों का भी अध्ययन किया जाता है।
हथेली की कुछ विशेष चिन्ह होते हैं, जिसका हस्तरेखा शास्त्र में बहुत अधिक महत्व है। साथ ही इन विशेष चिन्हों को अत्यधिक शुभ माना जाता है। हथेली पर स्थित इन विशेष चिन्हों में शंख, चक्र, त्रिशूल और कलम आदि प्रमुख हैं।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ये चिन्ह जिनकी हथेली में होता है वह अत्यधिक भाग्यशाली होता है। इन चिन्हों के अतिरिक्त एक चिन्ह ऐसा है जिसे इन सब चिन्हों में भी अत्यधिक महत्त्व का मामा गया है। जिसकी हथेली में यह चिन्ह होता है वह बेहद भाग्शाली होता है। क्योंकि हथेली में ऐसे चिन्ह वाले व्यक्ति अन्य की अपेक्षा कम मेहनत में बड़ी सफलता मिल जाती है। साथ ही ऐसे चिन्ह वाले व्यक्ति को जीवन में कम संघर्ष करना पड़ता है।
कहां होता है ‘विष्णु’ चिन्ह – हथेली की सबसे अगले भाग में सबसे ऊपर हृदय रेखा होती है। जब हृदय रेखा गुरु पर्वत (तर्जनी अंगुली के नीचे का भाग) जाकर दो भागों में बंट जाती है तो ऐसे में जो चिन्ह बनता है वह विष्णु चिन्ह कहलाता है। साथ ही हृदय रेखा का एक भाग तर्जनी अंगुली और मध्यमा अंगुली के बीच की ओर जा रही होती है। इस स्थिति में हृदय रेखा का यह हिस्सा जब अंग्रेजी का V अक्षर बनाता है तो उसे विष्णु चिन्ह कहा जाता है।
‘विष्णु’ चिन्ह की विशेषता – हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु का चिन्ह माना जाता है। यह विष्णु-चिह्न जिसकी भी हथेली में होता है उसके ऊपर साक्षात् भगवान विष्णु विशेष कृपा मानी जाती है। यदि ऐसी विशेष चिन्ह वाला व्यक्ति अच्छे कार्य करते है और अच्छी राह पर चलते हैं तो इन्हें किसी भी काम में अवश्य सफलता मिलती है। ऐसे लोगों को हराना इनके विरोधियों के लिए संभव नहीं होता है। इसके अलावे ये समाज में खूब लोकप्रियता और सम्मान पाते हैं। साथ ही जिसकी हथेली पर विष्णु चिन्ह होता है वह अत्यंत भाग्यशाली माना जाता है।