नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है. इस सत्र में सरकार कई अहम बिल पेश करेगी, जिसमें नागरिकता (संशोधन) विधयेक 2019 भी होगा. ये बिल सरकार के मुख्य एजेंडा में शामिल है, जिस प्रकार मानसून सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को प्रमुखता दी थी. राज्यसभा के 250वें सत्र पर पीएम नरेंद्र मोदी ने सांसदों को संबोधित किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि राज्य सभा के 250वें सत्र के दौरान मैं यहां उपस्थित सभी सांसदों को बधाई देता हूं. 250 सत्रों की ये जो यात्रा चली है, उसमें जिन-जिन सांसदों ने योगदान दिया है वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं. मैं उनका आदरपूर्वक स्मरण करता हूं. 250 सत्र ये अपने आप में समय व्यतीत हुआ ऐसा नहीं है. एक विचार यात्रा रही. समय बदलता गया, परिस्थितियां बदलती गईं और इस सदन ने बदली हुई परिस्थितियों को आत्मसात करते हुए अपने को ढालने का प्रयास किया. सदन के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि सदन संवाद के लिए होना चाहिए. भारी बहस हो, लेकिन रुकावटों के बजाय संवाद का रास्ता चुनें. एनसीपी और बीजेडी ने तय किया है कि वे वेल में नहीं जाएंगे. लेकिन फिर भी न एनसीपी न बीजेडी की राजनीतिक यात्रा में कोई रुकावट आई है. उच्च परंपरा जिसने बनाई उनका कोई राजनीतिक नुकसान नहीं हुआ. उनसे हमें सीखना चाहिए. इसकी चर्चा भी होनी चाहिए और उनका धन्यवाद देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि अनुभव कहता है संविधान निर्माताओं ने जो व्यवस्था दी वो कितनी उपयुक्त रही है. कितना अच्छा योगदान इसने दिया है. जहां निचला सदन जमीन से जुड़ा है, तो उच्च सदन दूर तक देख सकता है. भारत की विकास यात्रा में निचले सदन से जमीन से जुड़ी चीजों का प्रतिबिंब झलकता है, तो उच्च सदन से दूर दृष्टि का अनुभव होता है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस सदन के दो पहलू खास हैं- स्थायित्व और विविधता. स्थायित्व इसलिए महत्वपूर्ण है कि लोकसभा तो भंग होती रहती है, लेकिन राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. और विविधता इसलिए महत्वपूर्ण है कि क्योंकि यहां राज्यों का प्रतिनिधित्व प्राथमिकता है.राज्यसभा के 250 सत्र पर काफी चर्चा हुई है. इसमें योगदान देने वाले लोगों को अभिनंदन. इस सदन ने इतिहास बनाया भी और देखा भी. 250वें सत्र में शामिल होना मेरे लिए काफी अहम है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि राज्यसभा (आरएस) ने वैज्ञानिकों, कला और खेल के क्षेत्र के लोगों को लाभान्वित किया है, जो शायद लोकतांत्रिक रूप से नहीं चुने गए हैं. बाबा साहेब स्वयं इसका एक बड़ा उदाहरण हैं. वह लोकसभा के लिए चुने नहीं गए थे, लेकिन राज्यसभा में आए. राज्यसभा शाश्वत और विविध है. लोकसभा भले ही बंद हो जाए, लेकिन राज्यसभा कभी नहीं रुकता है और न ही कभी रुकेगा. भारत की विविधता हमें हमेशा इस सदन में प्रेरित करती है और आरएस में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है.
उन्होंने आगे कहा कि इस सदन का एक और लाभ भी है कि हर किसी के लिए चुनावी अखाड़ा पार करना बहुत सरल नहीं होता है, लेकिन देशहित में उनकी उपयोगिता कम नहीं होती है, उनका अनुभव, उनका सामर्थय मूल्यवान होता है. अगर हम राज्यसभा के 250 सत्रों का विश्लेषण करें, तो इसने कई विधेयकों को पारित किया है जो देश में कानून बन गए हैं, देश में शासन को परिभाषित कर रहे हैं.
पीएम ने कहा कि यह इस सदन की परिपक्वता थी जिसने ट्रिपल तालाक बिल को पारित किया, जो महिला सशक्तिकरण में एक प्रमुख कदम था. यह बहादुर घर था जिसने भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण पारित किया था. हमारे देश में एक लंबा कालखंड ऐसा था जब विपक्ष जैसा कुछ खास नहीं था. उस समय शासन में बैठे लोगों को इसका बड़ा लाभ भी मिला. लेकिन उस समय भी सदन में ऐसे अनुभवी लोग थे जिन्होंने शासन व्यवस्था में निरंकुशता नहीं आने दी. ये हम सबके लिए स्मरणीय है.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए बल्कि राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए. राज्यों और राष्ट्र का विकास दो अलग-अलग चीजें नहीं हैं और सीधे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. यह घर इस भावना को सबसे बेहतर ढंग से सिखाता और प्रेरित करता है. पीएम ने आगे कहा कि 2003 में राज्यसभा के 200वें सत्र के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था- ‘किसी को भी हमारे दूसरे सदन (राज्यसभा) को द्वितीय सदन मानने की गलती नहीं करनी चाहिए. भारत के विकास के लिए इसे सहायक सदन बना रहना चाहिए.
मोदी ने आगे कहा कि पिछले 5 साल का समय देखें तो यही सदन है जिसने तीन तलाक का बिल पास करके महिला सशक्तिकरण का बहुत बड़ा काम किया. इसी सदन ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया, लेकिन कहीं विरोधभाव पैदा नहीं हुआ. सब जगह सहयोग का भाव बना. इसी सदन ने जीएसटी के रूप में वन नेशन-वन टैक्स की ओर समहति बनाकर देश को दिशा देने का काम किया है. देश की एकता और अखंडता के लिए अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने की शुरुआत पहले इसी सदन में हुई, उसके बाद लोकसभा में ये हुआ.