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स्पीकर के अहम सुझाव को अमल में लाने की तैयारी, संसद की कैंटीन में सब्सिडी अब और नही रहेगी जारी

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नई दिल्ली। पिछले काफी वक्त से जब तब सोशल मीडिया समेत तमाम मंचों पर देश की संसद में सांसदों के लिए सब्सिडी के तहत जारी कैंटीन बेहद ही चर्चा का विषय रही है। जिस पर न सिर्फ आम जनमानस को आपत्ति थी बल्कि इसको लेकर काफी आलोचनायें भी की जाती रही हैं। देर से ही सही लेकिन इन बातों का असर आखिरकार हो ही गया। दरअसल भारतीय संसद ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। संसद ने निर्णय किया है कि अब सांसदों को कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी पर रोक लगा दी जाएगी। सांसदों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि वह संसद की कैंटीन में मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को छोड़ देंगे। 

गौरतलब और सराहनीय पहल के तहत आखिरकार यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष ओम कुमार बिड़ला के सुझाव के बाद लिया गया है। देशभर में लगातार मांग उठ रही थी कि सांसदों को खाने में सब्सिडी नहीं मिलनी चाहिए। सब्सिडी हटाए जाने पर पक्ष और विपक्ष दोनों से मिलकर फैसला लिया है। अब देश की संसद में सांसदों को मिलने वाला सस्ता खाना नहीं मिलेगा। अब सांसदों को भी खाने की लागत के अनुसार कैंटिन में खाने के पैसे चुकाने होंगे। दरअसल संसद स्थित कैंटीन में खाने पर सांसदों को मिलने वाली सब्सिडी अब खत्म हो सकती है। इसको लेकर अधिकतर पार्टियों ने भी सहमति जता दी है। अगर संसद की कैंटीन से सब्सिडी खत्म हो जाती है तो इससे सालाना 17 करोड़ रुपये की बचत होगी।

मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के सुझाव पर संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने इस मुद्दे पर हाल ही में चर्चा की थी, जिसमें सभी दलों के सदस्यों ने एक राय बनाते हुए इसे खत्म करने पर अपनी सहमति दे दी है। कमेटी ने कैंटीन में खाने पर सब्सिडी खत्म करने का सुझाव दिया गया है। ऐसा होने पर अब कैंटीन में मिलने वाला खाना लागत दर पर ही मिलेगा और सांसदों को खाने की लागत के हिसाब से भुगतान करना होगा।

ज्ञात हो कि संसद की कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी की कई बार आलोचना होती रही है। हाल ही में जेएनयू में हॉस्टल और मेस की फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों ने संसद की कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी का मुद्दा उठाते हुए टैक्सपेयर के पैसों का दुरुपयोग करने के आरोपों का जवाब दिया था। इस के बाद संसद की कैंटीन के खाने की एक रेट लिस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गई थी, जिससे काफी विवाद हुआ था।

जानकारी के अनुसारसंसद भवन में सालाना खानपान का बिल लगभग 17 करोड़ रुपये आता है। सब्सिडी हटाए जाने के बाद कैंटीन में खाने के दाम लागत के हिसाब से तय होंगे। पिछली लोकसभा में कैंटीन के खाने के दाम बढ़ाकर सब्सिडी का बिल कम किया गया था।  साल 2015 में एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि कैंटीन में खाने की लागत पर 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है। उस समय बीजद के सांसद बिजयंत जय पांडा ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर सब्सिडी खत्म किए जाने की मांग की थी। 

जिसके तहत बिजयंत जय पांडा ने कहा था कि जब सरकार आर्थिक रूप से मजबूत लोगों से एलपीजी सब्सिडी वापस करने के लिए कह रही है तो सांसदों से भी कैंटीन में सब्सिडी की सुविधा वापस ले लेनी चाहिए।  फिलहाल की रेट लिस्ट के अनुसार संसद की कैंटिन में चिकन करी 50 रुपये, वेज थाली 35 रुपये, प्लेन डोसा 12 रुपये और थ्री कोर्स लंच 106 रुपये में उपलब्ध है। ध्यान रहे कि यह सब्सिडी सिर्फ सांसदो के लिए थी। संसद की कैंटिन की यह रेट लिस्ट साल 2017-18 की है, जो एक आरटीआई के जवाब में सामने आई थी।

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