वाशिंगटन. अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि अगले सप्ताह भारत और अमेरिका के बीच होने वाली 2+2 वार्ता में मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाएगी लेकिन कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर बात होगी. दक्षिण और मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी. वेल्स ने पूर्व राष्ट्रपति ड्वाइट डेविड आइजनहावर की भारत की ऐतिहासिक यात्रा की 60वीं वर्षगांठ पर बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि अगले सप्ताह हो रही 2+2 वार्ता में मानवाधिकारों पर चर्चा नहीं की जाएगी. हालांकि मुझे भरोसा है कि कश्मीर के मुद्दे और भारत के समक्ष पेश आ रहे खतरे निश्चित तौर पर एजेंडे का हिस्सा होंगे.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के अपने समकक्षों विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर के साथ 18 दिसंबर को दूसरे दौर की 2+2 वार्ता करने के लिए अगले सप्ताह यहां आएंगे. 2+2 भारत-अमेरिका वार्ता पहली बार पिछले साल सितंबर में नयी दिल्ली में हुई थी.
वेल्स ने कहा कि कश्मीर की स्थिति पर अमेरिका करीबी नजर रख रहा है और वह भारत सरकार से उम्मीद करता है कि वह हिरासत में लिए लोगों को रिहा करने तथा राजनीतिक एवं आर्थिक हालात सामान्य बनाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाएगी जिससे स्थानीय तनाव कम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि सीमा पार सक्रिय आतंकवादी समूहों के कारण भारत को गंभीर सुरक्षा स्थिति का सामना करना पड़ता है लेकिन कश्मीरी लोग भारतीय संविधान के तहत पूर्ण अधिकारों के हकदार हैं और संविधान में सभी भारतीयों की धार्मिक आजादी के लिए सम्मान का प्रावधान है.
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाकर उसे एक केंद्र शासित प्रेदश बनाने की घोषणा की थी. पाकिस्तान ने इस पर कड़ा विरोध जाहिर करते हुए, द्विपक्षीय संबंधों को कमतर कर भारतीय दूत को निष्कासित कर दिया था. वहीं भारत लगातार यह कहता रहा है कि यह स्पष्ट रूप से उसका आंतरिक मामला है. वेल्स ने साथ ही कहा कि अमेरिकी संसद कश्मीर और विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को लेकर चिंतित है.