नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय काल परिस्थिती के अनुसार सकारात्मकता के रूप और स्वरूप को नई दिशा और दशा में ढालने के किसी भी अवसर को हाथ से जाने नही देते हें। जिसकी बानगी हमें और आपको जब तब देखने को मिलती ही रही है वहीं हाल में ही कोराना जैसी वैश्विक महामारी के गंभीर संकट के दौरान भी उनकी सकारात्मकता से समूचा देश ही नही बल्कि पूरी दुनिया अभिभूत है। इसी प्रकार अब प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि आज विश्व नए कारोबारी मॉडल तलाश रहा है। भारत अपने इनोवेटिव जोश और धुन के जरिए काम की नई संस्कृति तैयार करने में नेतृत्व कर सकता है।
गौरतलब है कि अपने ब्लॉग में पीएम ने लिखा, मेरा मानना है कि नई कारोबारी व कार्य संस्कृति पांच स्वरों से परिभाषित होगी। मैं इन्हें ‘नई स्वीकार्यता के स्वर ‘ कह रहा हूं क्योंकि यह पांच स्वर (ए, ई, आई, ओ, यू) अंग्रेजी भाषा की तरह कोविड के बाद की दुनिया के कारोबारी मॉडल के मुख्य तत्व बनने जा रहे हैं। नई कार्य संस्कृति में काम करने वालों की कद्र हो दिखाने वालों की नहीं।
स्वर-1 A- अडॉप्टेबिलिटी: अनुकूलन क्षमता- क्या हम विश्व को टेलीमेडिसिन सेवाएं देने वाला मॉडल बना सकते हैं?- समय आ चुका है कि कारोबार और जीवनशैली के ऐसे रूप के बारे में सोचा जाए, जिन्हें आसानी से अपनाया जा सके। इससे संकट के समय हमारे कार्यालय, कारोबार और वाणिज्य तेजी से आगे बढ़ते रहेंगे। इससे जीवन का नुकसान नहीं होगा। इस अनुकूलन क्षमता का सबसे अच्छा उदाहरण डिजिटल भुगतान हैं। बड़े-छोटे दुकानदार डिजिटल उपकरणों में निवेश करें और वाणिज्यिक गतिविधियों को चलते रहने दें। भारत पहले से डिजिटल लेन-देन की संख्या में तेजी देख रहा है। एक और उदाहरण टेलीमेडिसिन है। हम पहले ही देख रहे हैं कि कई लोग क्लीनिक या अस्पताल जाए बिना डॉक्टरी सलाह ले रहे हैं। यह सकारात्मक संकेत है। क्या हम ऐसे कारोबारी मॉडल पर विचार कर सकते हैं जो विश्व भर टेलीमेडिसिन सेवाएं दे?
स्वर-2- E- एफिशियंसी: कार्यकुशलता- ‘काम करते दिखने वालों को नहीं, करने वालों को महत्व मिले’- शायद यही समय है कि हम कुशलता के मायनों पर फिर से विचार कर सकें। कुशलता का मतलब यह नहीं है कि हम कितने घंटे ऑफिस में देते हैं। हमें ऐसा मॉडल बनाना होगा, जिसमें काम करते दिखने के बजाय उत्पादकता और कार्यकुशलता को ज्यादा महत्व मिले। तय समय में काम पूरा करने पर जोर दिया जाए।
स्वर-3-I- इंक्लूजिविटी: समावेशिता- गरीबों की देखभाल सर्वोपरि- आइए ऐसा कारोबारी मॉडल बनाएं जिसमें सबसे कमजोर वर्गों यानी गरीबों की देखभाल सर्वोपरि हो। हमने जलवायु परिवर्तन से लड़ने में काफी प्रगति की है, मां प्रकृति ने बताया है कि अगर मानव गतिविधियां धीमी हो जाएं तो वह कितनी तेजी से समृद्ध हो सकती है। ऐसी तकनीकों का अच्छा भविष्य है जो पृथ्वी पर बोझ घटा सके, कम संसाधनों में ज्यादा काम कर सकें। कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि स्वास्थ्य सुविधाएं सस्ते और बड़े स्तर पर देने की जरूरत है। संपूर्ण मानवता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के वैश्विक प्रयासों के लिए हम मार्गदर्शक बन सकते हैं। हमें ऐसे इनोवेशन में निवेश करने की जरूरत है, जिनसे हमारे किसानों को सूचनाएं, मशीनरी और बाजार हर हालात में मिल सकें, ताकि हमारे नागरिकों तक आश्वयक सामग्री पहुंच सकें।
स्वर-4- O- अपॉर्च्युनिटी: अवसर- संकट अवसर लाता है- हर संकट अवसर लेकर आता है। कोविड-19 भी अलग नहीं है। आइए नए अवसरों और वृद्धि करने जा रहे उभरते क्षेत्रों का मूल्यांकन करें ताकि किसी और के पीछे जाने के बजाय, भारत उत्तर-कोविड दुनिया में आगे रहे। आइए सोचें कि किस प्रकार हमारे लोग अपनी क्षमताओं के साथ यह कर सकते हैं।
स्वर-5- U- यूनिवर्सलिज्म: सार्वभौमिकता- एकता और भाईचारे से करें कोविड-19 का मुकाबला- हमला करने से पहले कोविड-19 नस्ल, धर्म, रंग, जाति, वर्ग, भाषा या सीमाएं नहीं देखता। इस पर हमारी प्रतिक्रया और आचरण भी एकता और भाईचारे पर आधारित होना चाहिए। हम सभी इसके खिलाफ साथ हैं। इतिहास में पहले आए ऐसे क्षणों में समाज और देश एकदूसरे के खिलाफ खड़े थे, लेकिन आज अलग स्थिति है, सभी एक जैसी चुनौती का सामना कर रहे हैं। भविष्य एकता और साथ का होगा। विश्व को अगला बड़ा विचार भारत से वैश्विक समसामयिकता और उपयोगिता का होना चाहिए। इसमें केवल भारत नहीं, समस्त मानवता के लिए सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता होनी चाहिए।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ये भी यह भी सुझाया कि भारत बने वैश्विक सप्लाई तंत्र का नर्व सेंटर- हाल तक वस्तुओं के आदान-प्रदान व ढुलाई को सड़कों, गोदाम और बंदरगाहों के नजरिए से देखा जाता था। अब विशेषज्ञ अपने घरों में बैठे हुए वैश्विक सप्लाई तंत्र को नियंत्रित कर सकते हैं। भारत भौतिक और वर्चुअल क्षमता के साझे उपयोग से विश्व के लिए एक ऐसा नर्व सेंटर बन सकता है, जहां आधुनिक लेकिन जटिल सप्लाई तंत्र चलाया जाए। उत्तर कोविड-19 समय में आने वाले इस अवसर को हमें हासिल करना ही होगा। मेरा सभी से निवेदन है कि इस बारे में सोचें और योगदान दें।
इसके अलावा उन्होंने एक और चुनौती का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि फिटनेस और सेहत का ख्याल रखें- ब्रिंग योर ओन डिवाइज (बीवाईओडी) से वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) की ओर जाने पर काम और निजी मामलों में संतुलन साधने की नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। इन सबके बीच अपने फिटनेस और व्यायाम को न भूलें। योग को अपनी शारीरिक और मानसिक अवस्था को सुधारने में आजमाएं। भारत की पारंपरिक औषधि पद्धति भी शरीर को फिट रखने में उपयोगी रही हैं।
इसके अलावा आयुष मंत्रालय ने स्वस्थ रहने के लिए एक प्रोटोकॉल भी जारी किया है, इसे देखें। आखिर में, कृपया आरोग्य मोबाइल एप जरूर डाउनलोड करें। यह एप भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जो तकनीक के जरिए कोविड-19 को फैलने से रोकने में मदद करता है। इसे जितना ज्यादा डाउनलोड किया जाएगा, यह उतना ही प्रभावशाली होगा।