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कोरोना की स्थिति को देखने के बाद होगा अमरनाथ यात्रा पर फैसला: जेएंडके एलजी

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जम्मू. जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कोरोना वायरस प्रकोप के बीच तीर्थयात्रा के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमरनाथ यात्रा के हितधारकों के साथ बैठक की. उपराज्यपाल ने बाबा अमरनाथ और बूढ़ा अमरनाथ यात्री न्यास के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करते हुए यह देखा कि कोविड-19 स्थिति के कारण तीर्थयात्रा के आयोजन पर उचित निर्णय स्थिति की आवधिक समीक्षाओं के बाद ही लिया जा सकता है. मुर्मू ने कहा कि सरकार यात्राओं के लिए आवश्यक सभी संभावित साधनों की खोज करेगी. हालांकि, कोविड-19 संकट के मद्देनजर ये सभी घटनाक्रम समीक्षा के अधीन हैं.

बयान में कहा गया है कि लगभग 20,000 स्वास्थ्य कर्मचारी और 30,000 पुलिस और अर्ध-सैन्य कर्मी कोरोना वायरस को नियंत्रित करने की दिशा में काम कर रहे थे. उनकी उपलब्धता यात्राओं के लिए भी सुनिश्चित की जाएगी. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कई सुझाव दिए, जिनमें से यात्रा की अवधि को कम करने, विशिष्ट आयु वर्ग के भक्तों को अनुमति देने, ऑनलाइन यात्रा पंजीकरण के लिए वरीयता देने, पहले हेली-यात्रा शुरू करने और एकल मार्ग (पहलगाम) की मौजूदा स्थिति और परिचालन के अनुसार पैदल यात्रा में देरी करना शामिल था.

एलजी ने प्रतिनिधिमंडल से सामुदायिक रसोई (लंगर) संगठनों के साथ संपर्क में रहने का आग्रह किया और आवश्यक व्यवस्थाओं को सुविधाजनक बनाने में मदद देने का आश्वासन दिया. हालांकि, इसके बावजूद बोर्ड तीन मई तक घोषित लॉक डाउन और कश्मीर घाटी में हर दिन बढ़ती संक्रमितों की संख्या को लेकर अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा है कि वे इस साल वार्षिक अमरनाथ यात्रा को शुरू करने की तैयारी करे या नहीं. 

बीते बुधवार को राजभवन में बुलाई गई श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की 38वीं बैठक में भी यही स्थिति देखने को मिली थी. तब कोरोना वायरस के चलते विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के बाद सभी सदस्यों ने आम राय बनाते हुए वार्षिक अमरनाथ यात्रा को रद्द करने का फैसला किया था. मगर, कुछ ही घंटों बाद यात्रा रद्द करने के फैसले को वापस ले लिया था. बैठक में उपराज्यपाल ने बताया कि कश्मीर घाटी में कोरोना संक्रमित 77 इलाकों को रेड जोन घोषित किया गया है. इनमें कई इलाके ऐसे हैं, जहां से अमरनाथ यात्रा गुजरती है.

महामारी की वजह से लंगर की स्थापना, चिकित्सा सुविधा, शिविर स्थापना, सामग्री जुटाना, श्रद्धालुओं को ठहराना, बर्फ हटाने का काम आदि संभव नहीं है. केंद्र सरकार ने 3 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर रखा है. अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि लॉकडाउन हटने के बाद स्थिति क्या होगी. ऐसे में यात्रा को लेकर इंतजाम करना, यत्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना, कई अहम पहलु हैं, जो जल्दबाजी में नहीं किए जा सकते हैं.

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