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मदिरालय खुले तो देवालय बंद क्यों? काशी विद्वत परिषद ने उठाया सवाल

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वाराणसी. लॉकडाउन के 40 दिन बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए शराब की दुकानों को खोलने की छूट दे दी. इसके बाद प्रदेश की योगी सरकार ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए सोमवार से सहराब की बिक्री शुरू कर दी. सरकार के इस फैसले से शौकीनों के चेहरे तो खिल गए, लेकिन अब सवाल भी उठ रहे हैं. सरकार के इस फैसले पर काशी विद्वत परिषद ने सवाल खड़े किए हैं. परिषद ने केंद्र और यूपी सरकार से पूछा है कि जब मदिरालय खुल सकता है, तो देवालय क्यों नहीं, जहां आत्मिक शांति मिलती है.

धर्म नगरी वाराणसी में सोमवार को शराब की दुकान खुलने के बाद मानो जैसे शराब के शौकीनों के लिए लॉटरी लग गई. लॉकडाउन पर शराब के शौकीनों का हुजूम भारी पड़ा और पूरे दिन बनारसियों ने लगभग 5 करोड़ की शराब खरीद ली. बहरहाल, शराब के दुकानों को सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रख कर खोला है, जिसका लाभ भी सरकार को पहले दिन ही मिला. लेकिन, इस फैसले से धर्मनगरी में देवालय के खोलने को भी उम्मीद लगा ली है. वाराणसी की सबसे पुरानी धर्म संगठन ने सरकार से अब देवालय खोलने की अपील की है.

काशी विद्वत परिषद के मंत्री राम नारायण द्विवेदी ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार से अपील की है कि मदिरालय के बाद अब देवालय भी खुलने चाहिए. एक निश्चित समय तक के लिए प्रत्येक दिन मंदिर खुलना चाहिए. शहर के मुख्य मंदिरों जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर, संकट मोचन और दुर्गा मंदिर के मुख्य द्वार खोले जाने चाहिए, जिससे भक्त दर्शन कर पाएं और उन्हें आत्मिक शांति मिल सके.

परिषद का कहना है कि मंदिर में दर्शन के लिए भक्त पहले से ही लाइन लगाकर दर्शन करते हैं. इसलिए कुछ घंटों के लिए छूट देना चाहिए. इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए दर्शन कराया जाए. परिषद ने मदिरायल खोलने पर कोई नाराजगी नहीं जाहिर की बस उन्हें उम्मीद है कि अब देवालय खोलने पर भी निर्णय ले लेना चाहिए.

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