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पेंशनरों को राहत, नहीं काटने पड़ेंगे बैंकों के चक्कर, दस्तावेज लेने खुद आएगा बैंककर्मी

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नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने अपने पेंशनरों के लिए नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. इनके जरिए पेंशनर की राह अब आसान बना दी गई है. मौजूदा पेंशनर और आने वाले समय में सेवानिवृत होने वाले कर्मियों को बैंकों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.

अगर किसी पेंशनर की मौत हो जाती है तो उसके जीवनसाथी को फार्म-14 जमा कराने की आवश्यकता नहीं होगी. बशर्ते उनके पेंशनर पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) में फैमिली पेंशन देने का अधिकृत पत्र लगा हो व ज्वाइंट अकाउंट हो. ऐसे मामले में केवल जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण देना होगा.

फैमिली पेंशन प्राप्त करने के लिए बैंक जीवनसाथी को नया खाता खोलने के लिए बाध्य नहीं कर करेगा.

पेंशनर को हर वर्ष बैंक में जीवन प्रमाणपत्र जमा कराना पड़ता था, जिसके लिए बैंक अक्तूबर, नवंबर में बार बार रिमाइंडर भेजते थे. अब पेंशनर से पूछा जाएगा कि वे अपना प्रमाणपत्र घर से ही देने के लिए इच्छुक हैं, तो बैंक कर्मी घर आकर वह पत्र ले जाएगा. इसकी नाममात्र फीस अधिकतम साठ रुपये होगी. केंद्र सरकार में पेंशनर की संख्या करीब 65 लाख है.

ग्रुप-ए से रिटायर हुए ऐसे पेंशनर, जो एक साल के अंदर कोई कमर्शियल इंप्लायमेंट ले लेते हैं, तो उन्हें बैंक को एक घोषणा पत्र देना पड़ेगा. इसमें यह जानकारी निहित होती है कि उन्होंने फलां कंपनी या जॉब सेक्टर में काम शुरू किया है और इसके लिए सरकार से अनुमति ली गई है. ऐसे मामले में संबंधित बैंक उनकी पेंशन आगे जारी रखेगा. यदि कोई पेंशनर अपनी रिटायरमेंट के एक साल बाद इस तरह की जॉब करता है तो उसे घोषणा पत्र देने की जरूरत नहीं होगी. यदि कोई पेंशनर, केंद्र, राज्य सरकार या निगम में पुन: रोजगार लेता है तो उसे एक घोषणा पत्र देना होता है. जैसे कि वह पेंशनर नवंबर में यह घोषणा करता है कि मैं फलां जगह पर रोजगार कर रहा हूं तो बैंक उसके खाते में महंगाई भत्ता राहत नहीं डालेगा.

अगर पुन: रोजगार लेते समय यदि पेंशनर का वेतन उसकी पेंशन को ध्यान में रखकर तय होता है तो उसे महंगाई भत्ता लेने के लिए योग्य माना जाएगा. यदि वह ऐसा घोषणा पत्र नवंबर तक जमा कराने में असमर्थ होता है तो महंगाई भत्ता राहत उसके खाते में नहीं जमा होगी. फैमिली पेंशन का केस है, तो जीवनसाथी के रोजगार या पुन: रोजगार का महंगाई भत्ता राहत पर कोई असर नहीं होगा. फैमिली पेंशन के केस में जीवनसाथी के न रहने पर पुत्र, पुत्री और दिव्यांग भाई बहन या माता पिता को वह पेंशन दी जाती है. इसके लिए उन्हें कोई भी आजीविका नहीं है, यह प्रमाण पत्र देना होता है. जीवनसाथी को हर छह माह में पुर्नविवाह न करने का भी शपथ पत्र देना होता है. अगर वह पुर्नविवाह कर लेता है तो उसकी फैमिली पेंशन बंद हो जाएगी.

यदि कोई विधवा है और उसके बच्चे नहीं हैं या कोई दिव्यांग है तो ऐसे केस में अगर पुनर्विवाह किया जाता है तो उसकी फैमिली पेंशन जारी रहेगी. 80 वर्ष या उससे ज्यादा की आयु वाले पेंशनर हैं तो उनका डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट लिया जाएगा. बैंक 15 वर्ष बाद पेंशन का वचनबद्ध हिस्सा स्वत: ही बहाल करेगा. इसके लिए अलग से दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे. बैंक पीपीओ सेक्शन से खुद ही सारी डिटेल लेकर वचनबद्ध हिस्से को बहाल कर देगा.

इसके अलावा यदि कोई पेंशनर, जिसकी आयु 80 वर्ष या उससे ऊपर है तो उसे पेंशन का बढ़ा हुआ हिस्सा मिलने लगता है. जैसे किसी पेंशनर की आयु 80 से 85 साल के बीच है तो बेसिक पेंशन का बीस फीसदी ज्यादा पैसा मिलेगा. 85 से 90 साल के बीच आयु है तो उसे 30 फीसदी, 90 और 95 साल के बीच आयु है तो 40 फीसदी, 95 से 100 वर्ष के बीच आयु है तो 50 फीसदी और आयु सौ वर्ष से अधिक है तो उसे बेसिक पेंशन का 100 फीसदी अतिरिक्त पैसा मिलेगा.

ऐसे मामले में पहले कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती थीं. अब वह सब बंद हो जाएंगी. बैंक खुद ही पेंशन का बढ़ा हुआ हिस्सा खाते में डालता रहेगा. इसके लिए कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. यानी पेंशनर को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी.

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