नई दिल्ली. रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूशंस ने मंगलवार 19 मई को कहा कि कोविड-19 संकट से उबरने के लिए सरकार द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज तात्कालिक चिंताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि इसके तहत दिया गया वास्तविक राजकोषीय प्रोत्साहन जीडीपी का सिर्फ एक प्रतिशत है, जबकि दावा किया गया है कि ये जीडीपी का 10 प्रतिशत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज की घोषणा की थी, जो जीडीपी के करीब 10 प्रतिशत के बराबर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच किस्तों इस पैकेज की विस्तृत घोषणाएं की.
फिच सॉल्युशंस ने अपने नोट में कहा, पैकेज की करीब आधी राशि राजकोषीय कदमों से जुड़ी है, जिसकी घोषणा पहले की जा चुकी थी. साथ ही इसमें रिजर्व बैंक की मौद्रिक राहत वाली घोषणाओं के अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले अनुमान को भी जोड़ लिया गया. रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक यह केंद्र सरकार की कोविड-19 संकट के बीच राजकोषीय विस्तार की अनिच्छा को दिखाता है, जबकि देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 1.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
फिच ने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ रहा है, क्योंकि एक तरफ कोविड-19 का संक्रमण बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ घरेलू और वैश्विक दोनों मांग भी कमजोर है. हमारा मानना है कि सरकार के प्रोत्साहन में जितनी देरी होगी अर्थव्यवस्था के नीचे जाने का खतरा उतना बढ़ता जाएगा. अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार को और अधिक खर्च करने की जरूरत है, हालांकि इस वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है.
नोट के मुताबिक 13 से 17 मई के बीच की गयी घोषणाओं में सरकार ने ऋण गारंटी, ऋण चुकाने की अवधि में विस्तार इत्यादि के साथ नियामकीय सुधार किए हैं. हालांकि, पैकेज के तहत किया जाने वाला नया व्यय जीडीपी का मात्र एक प्रतिशत है. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक यह पैकेज अर्थव्यवस्था की तात्कालिक चुनौतियां से निपटने में सक्षम नहीं है. इसलिए हम वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार और देश के संयुक्त स्तर पर घाटे का अनुमान बढ़ाकर क्रमश: सात प्रतिशत और 11 प्रतिशत कर रहे हैं. पहले यह अनुमान क्रमश: 6.2 प्रतिशत और नौ प्रतिशत था.