पिथौरागढ़. भारत के नजरिए से अति अहम लिपुलेख सड़क का उद्घाटन होने के बाद से ही बॉर्डर इलाकों में नेपाल (Nepal) ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. लिपुलेख सड़क पर विरोध जताने के साथ नेपाल ने नया नक्शा तैयार किया है, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने हिस्से को बतौर दर्शाया गया है. वहीं दूसरी तरफ, नेपाली गृह मंत्रालय ने अब भारत और चीन से सटे बॉर्डर पर 500 नए चेकपोस्ट बनाने की कवायद पर काम शुरू कर दिया है. नेपाल की योजना के तहत, हर चेक पोस्ट पर एक प्लाटून सशस्त्र प्रहरी बल की तैनाती होनी है.
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में नेपाल के भारत और चीन से सटे इलाकों में 121 चेक पोस्ट हैं. नेपाल इन चेक पोस्टों के जरिए लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा में होने वाली हर गतिविधि पर आसानी से नजर रख सकता है.
इससे पहले छांगरू में बनाई गई स्थाई चेक पोस्ट में नेपाल ने सशस्त्र प्रहरियों के साथ नेपाल प्रहरी के जवानों को तैनात किया है. असल में, नेपाल बॉर्डर पर थ्री लेयर सिक्योरिटी के तहत सुरक्षाबलों की तैनाती करता है. जिसमें सबसे पहले बिना हथियारों के नेपाल प्रहरी तैनात रहते हैं. जबकि, सेकेंड लेयर पर तैनात सशस्त्र प्रहरी हथियारों से लैस रहते हैं.
अंतिम और सबसे मजबूत तीसरी लेयर में नेपाली की सेना की तैनाती होती है. जो सभी तहर के जरूरी हथियारों के साथ मौजूद रहती है. वहीं पिथौरागढ़ की बार्डर तहसील धारचूला में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने पर सीमांत के लोगों में खासी नाराजगी भी देखने को मिल रही है.
कल्याण समिति के अध्यक्ष कृष्णा गर्बयाल का कहना है कि नेपाल का ये कदम सरासर गलत है. वे कहतें हैं कि सीमा बंटवारे के समय गर्वयालों को काफी जमीन काली नदी के पार भी थी. लेकिन वे उसे छोड़ आए थे. आज भी नेपाल स्थित माउंट अपि, तिपिल, छ्यक्त, छिरे और शिमाकल में गुंजी के गर्वयालों की हजारों नाली नाप भूमि है.