मुंबई। एक तरफ जहां देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं महाराष्ट्र में ऐसे में भी सियासत अपने चरम पर है जबकि वहां की जनता काफी हद तक कोरोना से बचाव के लिये बस ऊपरवाले के रहमो करम पर है। जिसकी बानगी दिन ब दिन महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या में होती बढ़ोत्तरी से देखने को मिलती है। अब इसी मुद्दे को लेकर भाजपा ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
गौरतलब है कि कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के बीच सियासी हमला जारी है। भाजपा सांसद नारायण राणे ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सोमवार को मुलाकात की और वैश्विक महामारी से निपटने में शिवसेना नीत राज्य सरकार की ‘विफलता’ के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि भले ही महाराष्ट्र में कोविड-19 की स्थिति ‘भयावह’ है लेकिन वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत नहीं है। मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के पक्ष में नहीं है
जिस पर शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा सांसद नारायण राणे के महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा कि कोविड-19 संकट से निपटने में गुजरात का प्रदर्शन ‘सबसे बुरा है और इसलिए सबसे पहले उसे केंद्र के शासन के तहत रखा जाना चाहिए।’ किसी पार्टी या नेता का नाम लिए बिना, संजय राउत ने कहा कि विपक्ष को ‘पृथक-वास’ में रखा जाना चाहिए और कहा कि महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने के उनके प्रयासों का उलटा असर होगा।
इसके साथ ही इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा, ‘अगर आप कोविड-19 संकट पर गुजरात उच्च न्यायालय की गुण-दोष व्याख्या देखें तो राज्यों का कार्य प्रदर्शन महाराष्ट्र की तुलना में बुरा है।’ राउत ने संवाददाताओं को बताया, ‘अगर राष्ट्रपति शासन लगाना ही है तो केंद्र को गुजरात के साथ शुरू करना चाहिए।’
उन्होंने महाराष्ट्र में तीन दल (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) की गठबंधन सरकार की ‘स्थिरता’ को लेकर अटकलों को भी खारिज किया। शिवसेना से राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘यह बेहतर होगा कि विपक्ष को पृथक-वास में रखा जाए। महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की उनकी कोशिशें उलटी पड़ सकती हैं । विपक्ष को इस सरकार को गिराने के लिए अब भी फॉर्मूला तलाश करने की जरूरत है।’