नई दिल्ली. दिन में महज 2 ग्राम खाना खाने वाली टिड्डी भारत के 5 राज्य इस समय नई मुसीबत बन गई है. पाकिस्तान से आए टिड्डी दलों के आगे सरकार भी घुटने टेकती नजर आ रही है, वहीं किसान के लिए ये किसी आपदा से कम नहीं. टिड्डी को सबसे विनाशकारी कीट माना जाता है जिसका अभी तक कोई पुख्ता समाधान नहीं निकाला जा सका है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इससे करोड़ों लोग प्रभावित हो सकते हैं. भुखमरी के हालात भी बन सकते हैं. वहीं इस नई आफत से विमानों के लिए भी परेशानी पैदा हो गई है. डीजीसीए ने पायलटों को उड़ान भरते समय और उतरते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं.
इन 5 राज्यों में टिड्डी बनीं मुसीबत पाकिस्तान के रास्ते देश में घुसे रेगिस्तानी टिड्डी ने इस राजस्थान का प्रकोप गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तक फैल चुका है. यहां के किसान इस मुसीबत को हटाने के लिए कई तरह के इंतजाम कर रहे हैं लेकिन फिलहाल कोई राहत नहीं नजर आ रही है.
टिड्डी दल फसलों के लिए बेहद नुकसानदायक है. किसी क्षेत्र में एक वर्ग किमी में टिड्डी दल पहुंच जाए, तो हर दिन हजार से दो हजार लोगों का खाना खा लेता है. जिस क्षेत्र में टिड्डी दल पहुंचता है, वहां प्रजनन भी करता है. हालांकि, प्रजनन के लिए रेगिस्तानी भूमि ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है.
अनुकूल परिस्थितियों में एक दल में करीब 8 करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो हवा के रुख के साथ प्रतिदिन 150 किमी तक की यात्रा कर सकती हैं. टिड्डी दल अपने रास्ते में आने वाले सभी प्रकार की फसलों एवं गैर-फसलों को चट कर जाता है. एक टिड्डी एक दिन में 2 ग्राम भोजन करती है लेकिन इसकी संख्या इतनी होती है कि कई लोगों के बराबर खाना खत्म हो सकता है.
भारत में 27 साल बाद यह टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है. इससे पहले 1993 में टिड्डी दलों ने कई राज्यों में हमला किया था ,जिससे करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो गई थी.
महाराष्ट्र कृषि विश्वविद्यालय ने टिड्डियों के अंडे नष्ट करने और फसलों को उनसे बचाने के लिए नीम के तेल का छिड़काव करने जैसे कुछ सुझाव दिए हैं. हफ्ते की शुरुआत में टिड्डियों ने विदर्भ में धावा बोला था. मराठवाड़ा के परभनी में स्थित वसंतराव नाइक कृषि विश्वविद्यालय के अनुसार, टिड्डी दल द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने और खाने की तलाश में लंबी दूरी तक उड़ान भरने के खतरे से निपटने के कुछ प्रभावी उपाय हैं. विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि टिड्डियों की समस्या से निपटने के कुछ प्रभावी तरीकों में उनके अंडे नष्ट करना और खड़ी फसलों पर नीम के तेल का छिड़काव करना शामिल हैं.
टिड्डियों के चलते विमान संचालन के लिए भी परेशानी पैदा हो गई है. डीजीसीए ने पायलटों को उड़ान भरते समय और उतरते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं. डीजीसीए ने पायलटों को विंडशील्ड से टिड्डियों के टकराने पर बनी गंदगी को वाइपर से नहीं हटाने की सलाह दी है. डीजीसीए का कहना है कि इससे गंदगी ज्यादा बड़ी जगह में फैलकर विजन को खत्म कर सकती है.
दिल्ली और पास के राज्यों में टिड्डी दलों के हमले के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में एक याचिका दाखिल की गई है. एक एनजीओ की तरफ से दाखिल याचिका में केंद्र सरकार को हालात से निपटने के लिए एक आपात योजना लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.