वाशिंगटन. कोरोना वायरस के संक्रमण की सबसे ज्यादा मार झेल रहे अमेरिका ने एच-1बी वीजा पर रोक लगा दी है. कोरोना संकट के चलते आई आर्थिक मंदी के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा सहित अन्य जॉब वीजा पर इस साल के अंत तक रोक लगा दी है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह कदम अमेरिकी लोगों को नौकरियों में प्राथमिकता देने के लिए उठाया है.
अमेरिका का यह कदम जहां अमेरिकी नागरिकों के लिए राहत भरा है, वहीं भारत के आईटी प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि अमेरिका में एच-1बी वीजा के लिये आवदेन करने वालों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की होती है. अब इन लोगों के लिए इस साल के अंत तक अमेरिका में नौकरी हासिल करने की संभावना फिलहाल समाप्त हो गई है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियों को सुरक्षित रखने के लिए वीजा स्थगन की अवधि को इस साल के अंत तक बढ़ा दिया है. सोमवार को ट्रंप ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. गौरतलब है कि अमेरिका ने कोरोना संकट को देखते हुए वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया था. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना संकट से उबरने के बाद अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश है. ऐसे में नई नौकरियों में अमेरिकी नागरिकों को ही प्राथमिकता दी जाएगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है. जिससे ब्लू कॉलर जॉब या मिडिल क्लास वर्कर का रोजगार विदेशियों के हाथ में न जाए. इसके लिए नए इमिग्रेंट वीजा पर इस साल के अंत तक रोक लगा दी गई है. इसमें एच-1बी सहित अन्य नॉन इमिग्रेंट वीजा भी शामिल हैं. अमेरिका में हाल में हुए सर्वे में अधिकतर लोगों ने एच-1बी जैसे अन्य जॉब आधारित वीजा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
भारत सहित अन्य देशों हर साल लाखों प्रोफेशनल्स अमेरिका में बेहतर नौकरियों के मौकों के लिए जाते हैं. लेकिन अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगने के चलते इनका सपना फिलहाल टूट गया है. एच-1बी वीजा का इस्तेमाल भारतीय आईटी कंपनियां भी बड़े पैमाने पर करती है. इस रोक से इन कंपनियों की भविष्य की योजनाओं पर भी असर पड़ेगा.