नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फे्रंस में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि चीन ने मई से ही एलएसी के पास अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी. उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती करके भारत के साथ अपने समझौते का उल्लंघन किया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि 1993 में हुए समझौते के तहत दोनों देश सीमा पर सीमित संख्या में ही सैनिकों की तैनाती कर सकते हैं. भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कभी भी यथास्थिति को बदलने का प्रयास नहीं किया. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी पक्ष का व्यवहार मौजूदा समझौतों के प्रति उसके पूर्ण असम्मान को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि चीन वहां मई की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रहा था, ऐसे में भारत को जवाब में तैनाती करनी ही पड़ी. गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की. मौजूदा स्थिति बने रहने से आगे और माहौल खराब होगा.
प्रेस कॉन्फे्रंस के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गलवान घाटी में हुई भारतीय सैनिकों की शहादत के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि हमने कूटनीतिक और सैन्य, दोनों की स्तर के माध्यम से चीनी कार्यवाही पर अपना विरोध दर्ज किया था. हमने यह स्पष्ट किया कि इस तरह का कोई भी बदलाव हमारे लिए अस्वीकार्य था. दोनों देशों के बीच 6 जून को सैन्य स्तर पर वार्ता भी हुई. इसमें दोनों देशों के बीच वहां सैनिकों को पीछे करने पर सहमति बनी थी.
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्ष एलएसी पर सम्मान और पालन करने के लिए सहमत थे और यथास्थिति को बदलने के लिए कोई गतिविधि नहीं कर रहे थे. उन्होंने कहा चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में एलएसी के संबंध में इस समझ को पीछे छोड़ दिया और एलएसी के पार संरचनाओं को बनाने की कोशिश की