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UN में भारत ने पहली बार उठाया Hong Kong का मुद्दा, चीन की दुखती रग पर रखा हाथ

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जिनेवा. भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच दोनों देश एक दूसरे को सैन्य और आर्थिक मोर्चे के अलावा कूटनीतिक मोर्चे पर भी घेरने में जुटे हुए हैं. एक तरफ चीन (China) जहां भारत के पड़ोसी देशों को भड़ककर भारत के खिलाफ बयानबाजी करवाने में जुटा हुआ है. वहीं अब भारत (India) ने भी चीन की इस चाल का जवाब उसे उसी की भाषा में दिया है. भारत ने चीन की दुखती रग पर हाथ रखते हुए बुधवार को यूएन मानवाधिकार परिषद  में चीन के नए सुरक्षा कानून का मुद्दा उठाया. हॉन्ग कॉन्ग में 2019 से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद भारत ने पहली बार इस मसले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हालिया घटनाक्रमों पर उसकी नज़र है और संबंधित पक्षों को चिंता का निष्पक्षता से समाधान करना चाहिए. यह कानून हॉन्ग कॉन्गपर चीन को ज़्यादा अधिकार देता है.

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव चंदर ने कहा, ‘हम हाल की इन घटनाओं पर चिंता जताने वाले कई बयान सुन चुके हैं. हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इन बातों का ध्यान रखेंगे और इसका उचित, गंभीर और निष्पक्ष समाधान करेंगे.’ भारत का यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बयान वाले दिन ही आया है जिसमें उन्होंने भारत में चीनी ऐप्स पर बैन का समर्थन किया था. पोम्पियो ने कहा था कि कि भारत का क्लीन ऐप नजरिये से उसकी संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी.

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि भारत हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन पर बोले. हॉन्ग कॉन्ग में चीन के नए कानून में वहां के लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन की बात कही जा रही है. UNHRC में 27 देशों ने चीन से हॉन्ग कॉन्ग में लागू किए गए नए कानून पर फिर से विचार करने को कहा है. Quad (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) राष्ट्रों में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जिसने हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर अभीतक कुछ नहीं बोला है. ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने चीन के नए कानून की आलोचना की है. जापान ने भी फ्री और खुले हॉन्ग कॉन्ग का समर्थन किया है.

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