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भारत की कूटनीतिक जीत: खालिस्तान की मांग वाले रेफरेंडम को कनाडा सरकार ने नकारा

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टोरंटो. खालिस्तान की मांग करने वाले रेफरेंडम 2020 के समर्थकों को कनाडा सरकार ने करारा झटका देते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि वह ऐसे किसी प्रयास और ऐसे किसी जनमत संग्रह को कोई पहचान नहीं देगी. कनाडा सरकार ने कहा है कि वह भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करती है और ऐसे किसी रेफरेंडम को कोई महत्व या पहचान नहीं दी जाएगी.

कनाडा सरकार ने इस मामले में सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा लिखी गई चि_ी को भी नजरअंदाज कर दिया है. यह चि_ी पन्नू ने रेफरेंडम 2020 के लिए कनाडा का समर्थन मांगने के लिए लिखी थी और इस मुहिम के लिए सबसे भारत विरोधी प्रचार भी कनाडा में ही हो रहा था. कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो सरकार के इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है.

दरअसल कनाडा की सरकार को अब इस बात का एहसास हो गया है कि कनाडा में बैठ कर भारत विरोधी मुहिम चलाने वालों की संख्या महज मु_ी भर है और इन मु_ी भर खालिस्तान समर्थकों के लिए वह भारत के साथ अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहता.

वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने खालिस्तान समर्थक समूह सिख्स फॉर जस्टिस द्वारा करवाए जा रहे रैफरैंडम 2020 के नतीजों को मान्यता न देने के लिए कनाडा के फैसले का स्वागत किया है. मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि अन्य देश भी कनाडा द्वारा पेश की गई इस मिसाल का पालन करेंगे और अलगाववादी रैफरैंडम 2020 को रद्द करेंगे, जिसको एसएफजे द्वारा भारत को सांप्रदायिक रास्ते पर बाँटने के लिए उत्साहित किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जस्टिन ट्रूडो सरकार द्वारा इस मुद्दे पर लिया गया स्पष्ट रुख बेमिसाल है और अन्य मुल्कों और सरकारों को भी एसएफजे के विरुद्ध खुलकर सामने आना चाहिए, जिस पर भारत ने आतंकवादी संगठन के तौर पर पाबंदी लगाई है और जिसके संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू को पाकिस्तान से समर्थन प्राप्त आतंकवादी गतिविधियों को सक्रियता से उत्साहित करने के लिए एक आतंकवादी घोषित किया गया है.

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि अलगाववादी एसएफजे का खुलेआम विरोध करने में असफल रहना किसी भी देश के लिए खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है, क्योंकि इसको उक्त संस्था के गुप्त समर्थन के तौर पर देखा जा सकता है, जो स्वतंत्र तौर पर अलगाववादी गतिविधियों का प्रचार कर रही है. उन्होंने कहा कि पंजाब में सिखों ने एसएफजे की खालिस्तान समर्थक लहर को स्पष्ट तौर पर रद्द कर दिया था, जिसको यह संगठन पाकिस्तानी आईएसआई के इशारे पर फैला रहा था.

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