जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने की अपील को राज्यपाल कलराज मिश्र ने स्वीकार कर लिया है. वहीं राज्यपाल की ओर से कांग्रेस द्वारा लगाए गए किसी भी तरह के दवाब के आरोपों को खारिज कर दिया गया है. इससे कुछ ही देर पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल के बर्ताव को लेकर प्रधानमंत्री से बात की और उन्हें इस बारे में बताया है.
राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए राज्यपाल को रविवार को एक संशोधित प्रस्ताव भेजा था, जिसे वापस लौटा दिया गया था. राज्यपाल को सौंपे नए प्रस्ताव में 31 जुलाई से कोरोना वायरस और अन्य बिल पर चर्चा के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई थी.
राज्यपाल ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र शुरू करने के प्रस्ताव की मांग को खारिज करते हुए राज्य सरकार से सफाई मांगी थी. कोरोना वायरस की स्थिति का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा था कि इतने कम समय में सदन के सभी विधायकों को बुलाना कठिन होगा.
राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राजभवन में कांग्रेस विधायकों के शुक्रवार को पांच घंटे के धरने के बाद राज्य सरकार से छह बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल के आश्वासन के बाद राजभवन में धरना समाप्त कर दिया गया था.
बता दें कि विधासभा सत्र बुलाए जाने का आग्रह करते हुए यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखा. पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्विनी कुमार ने राज्यपाल को पत्र में लिखा कि राज्यपाल अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर विधानसभा सत्र बुलाएं क्योंकि ऐसा नहीं करने से संवैधानिक संकट पैदा होगा.
राज्यपाल की तरफ से सत्र बुलाने में विलंब करने से राजस्थान में एक ऐसा संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया है जिसे पहले ही टाला जा सकता था. वहीं रविवार को कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र पर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी का आरोप लगाते हुए कहा कि वे केंद्र में ‘मास्टर’ के इशारे पर काम कर रहे हैं.