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लद्दाख में भारत के साथ लंबे टकराव की तैयारी में चीन, सैटाइलाइट तस्वीरों से खुलासा

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पेइचिंग. पूर्वी लद्दाख में भारतीय जमीन पर कब्‍जा करने की फ‍िराक में जुटा चीन पैंगोंग त्सो झील के फिंगर 4 से 8 के बीच हटने को तैयार नहीं हो रहा है. चीन ने लद्दाख के कुछ इलाकों से भले ही सेना हटा ली हो लेकिन लंबे समय तक टकराव के लिए एलएसी से कुछ ही दूरी पर स्थित अक्‍साई चिन के इलाके में बड़ी सैन्‍य तैयारी करने में जुट गया है. सैटलाइट से मिली ताजा तस्‍वीरों में पता चला है कि चीन अपने सैतुला सैन्‍य ठिकाने को आधुनिक बना रहा है और वहां घातक हथियार तैनात कर रखा है.

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट Detresfa की ओर से जारी सैटलाइट की तस्‍वीरों में साफ नजर आ रहा है कि चीन ने पिछले दो साल में इस सैन्‍य अड्डे को ‘किले’ की शक्‍ल देना शुरू किया है. सैतुला में चीन जवानों के लंबे समय रहने और लद्दाख में उनके बहुत तेजी से तैनाती के लिए प्रशिक्षण की सुविधाएं जुटा रहा है. चीन ने नए बैरक बनाए हैं और हेलीपोर्ट तैयार किया है. इसके अलावा सैतुला में चीन ने तोपें और कई घातक हथियार तैनात किए हैं.

चीन ने भारत से लगी सीमा के नजदीक कम से कम 8 एयरबेस या हेलीपैड को एक्टिवेट किया है जहां से वह अपनी युद्धक गतिविधियों को जारी रख सकता है. हाल में ही शिनजियांग प्रांत में स्थित होटान एयरबेस पर तैनात चीनी फाइटर जेट और अवाक्स प्लेन की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं थीं. इसमें संबंधित एयरबेस पर तैनात एयरक्राफ्ट के बारे में भी जानकारी दी गई है.

अत्याधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण चीन इस इलाके में हवाई शक्ति के मामले में भारत से कमजोर है. जबकि भारतीय एयरबेस निचले क्षेत्र में हैं जहां से वे अपनी पूरी क्षमता के साथ चीन के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. चीन ने अपने ठिकानों पर शेनयांग जे 11 फाइटर प्लेन तैनात किया है जिसकी रेंज 3530 किलोमीटर है. जो 2500 किमी प्रतिं घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकता है. वर्तमान समय में चीन के पास इस प्लेन के 250 से ज्यादा यूनिट मौजूद हैं. यह प्लेन रूस की एसयू 27 एसके का लाइसेंस वर्जन है.

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