कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम कर रहे कर्मचारियों पर अब टैक्स की मेहरबानी नहीं रहेगी. टैक्सेशन की ओर से वर्क फ्रॉम होम कर रहे कर रहे कमाचारियों के लिए अब कन्वेंस अलाउंस अब टैक्स फ्री ना करने की बात हो रही है. चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिए टैक्स देनदारी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
टैक्स विशेषज्ञ मानते हैं कि कई अलाउंस के बदले स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन मुहैया कराना सरकार का एक अच्छा कदम है. यह भविष्य में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को फायदा पहुंचाएगा.
कंपनियां ऐसे रास्तों की तलाश में जुटी हुई हैं, जिनसे कर्मचारियों की मदद की जा सके. इसलिए वे सैलरी रीस्ट्रक्चर कर रही हैं.
सरकार भी इसे ध्यान में रख रही है कि नौकरीपेशा लोगों पर वर्क फ्रॉम होम की वजह से अधिक बोझ न पड़े.
गौरतलब है कि जब कन्वेंस अलाउंस रीइंबर्समेंट की तरह ऑफर किया जाता है, तो इसपर टैक्स नहीं लगता लेकिन अब घर से काम करने की स्थिति में ये आय अब टैक्सेबल इनकम के दायरे में आ सकती है. सिर्फ कन्वेंस अलाउंस ही नहीं, बल्कि इस दौरान वैकेशन और लीव ट्रैवल अलाउंस भी क्लेम नहीं किया जा सकेगा.
इसके अतिरिक्त अगर आपने अपना किराए का घर छोड़ दिया है और परिवार के साथ अपने स्थायी घर से काम कर रहे हैं, तो आपको हाउस रेंट अलाउंस पर भी टैक्स छूट नहीं मिलेगी. ऐसे में संभव है कि आपको एचआरए पर टैक्स देना पड़े.
अगर आपकी कंपनी भी आपको घर से काम करने के लिए अलाउंस दे रही है और आपसे कोई सवाल नहीं पूछती कि आप उसे कहां खर्च कर रहे हैं, या आपसे खर्च का सबूत भी नहीं मांगती, तो इस पर भी आपको टैक्स चुकाना पड़ सकता है.
यह कैसे काम करता है?
अगर किसी कर्मचारी का सीटीसी 10 लाख रुपये है, जिसमें एचआरए, कन्वेंस, एलटीए और कम्युनिकेशन रीइंबर्समेंट शामिल है और उसने किराए का परिसर खाली कर दिया है, तो वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक घर से काम करने की स्थिति में उसे 60 फीसदी अधिक आयकर देना पड़ सकता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार वकील और टैक्स सलाहकार वैथीस्वर्ण ने बताया कि, ‘कर्मचारियों को जरूरी अलाउंस देने के लिए पर्सनल टैक्स कानून में बदलाव की जरूरत है. जैसे कन्वेंस के पैसे कर्मचारियों को घर पर ऑफिस बनाने और आईटी व कम्युनिकेशन आदि के लिए दिए जा सकते हैं.