वैश्विक महामारी कोरोना और GST ने भारत की अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया है. लेकिन भारत में कोरोना के साथ ही लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी है कि अब 12 राज्यों के सामने सैलरी देने का भी संकट है. दरअसल देश के 12 राज्यों की स्थिती ऐसी है कि कर्मचारियों के सैलरी भुगतान के लिए भी सरकार को मुश्किल हो रही है.
एक तो या सैलरी देर से दी जा रही है और दूसरा उसमें कटौती भी की जा रही है. इसके पीछे की वजह कई राज्य केंद्र सरकार के रवैये को बता रहे हैं. देश के 12 राज्यों की सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार की ओर से GST का बकाया भुगतान नहीं किया जा रही है, जिससे स्थिती ऐसी हो गयी है.
यहां बता दें कि 27 अगस्त को GST परिषद की बैठक बकाया का भुगतान को लेकर होनी है. सबकी निगाहें इस बैठक में लिये जाने वाले निर्णय पर टिकी हुई हैं.
दूसरी ओर कई राज्यों की ओर से त्राहिमाम संदेश केंद्र सरकार को भेजा है. केंद्र को संदेश भेजने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक और त्रिपुरा हैं. इस राज्यों ने अपने संदेश में लिखा है कि राज्य के स्वास्थ्यकर्मियों को समय पर वेतन नहीं दे पा रहे हैं.
जबकि इसके अलावा केंद्र को संदेश भेजने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और मध्यप्रदेश भी हैं. जिन्होंने लिखा है कि वित्तीय हालत खराब होने की वजह से कॉलेज और यूनिवर्सिटी के टीचर व स्टाफ को सैलरी का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.
उपरोक्त सभी राज्यों ने सैलरी के बकाये के पीछे की वजह का ठीकरा केंद्र सरकार पर भेजा है. राज्यों ने आरोप लगाया है कि इस साल के अप्रैल महीने से इन्हें GST का भुगतान नहीं किया गया है. जिससे वेतन देने में मुश्किल हो रही है.adv
गुरुवार को होने वाली GST परिषद की बैठक से सभी राज्यों को उम्मीदें हैं. जबकि भाजपा शासित राज्यों को उम्मीद है कि उन्हें बिना शर्त राजकोषीय घाटे की लिमिट बढ़ाने की अनुमति मिलेगी. और साथ ही कुछ भुगतान भी होगा.
कई राज्यों के सामने वित्तीय संकट ऐसा है कि वे कुछ नये खर्चों के बारे में कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. वहीं इस समय कई समस्या राज्यों के सामने है. क्योंकि कोरोना की वजह उन्हें अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने में ज्यादा खर्च करने पड़े हैं. और हेल्थ के क्षेत्र में सुविधाओं का बढ़ाने का दबाव भी सरकारों को है.
लेकिन GST आय घटने के अलावा राज्य उत्पाद शुल्क और स्टाम्प शुल्क में आयी कमी भी बड़ी वजह है. जिससे राज्यों की हालत खराब है.
हालांकि केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक संकट के दौर को देखते हुए उधार लेने की सीमा बढ़ा दी है. लेकिन वो भी सशर्त. लेकिन ये कोई कारगर कदम साबित नहीं हो रहा पा रहा क्योंकि महज 8 राज्य ही इसके लिए योग्यता रखते हैं.