नई दिल्ली. कोरोना काल में नोटों को सैनिटाइज करने, धोने और धूप में सुखाने से बड़ी संख्या में करेंसी खराब हो गई. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार सबसे ज्यादा दो हजार रुपये के नोट खराब हुए हैं. आरबीआई के पास इस बार 2 हजार के 17 करोड़ से भी ज्यादा नोट आए. इसके अलावा दो सौ, पांच सौ, 10 और 20 रुपये के नोट भी काफी अधिक खराब हुए.
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस साल दो हजार रुपये के 17 करोड़ नोट खराब हुए. यह संख्या पिछले साल की तुलना में 300 गुना ज्यादा है. कोरोना संक्रमण के सरफेस पर कुछ समय तक रहने की खबर के बाद से ही लोगों ने नोटों को धोना, सैनिटाइज करना और धूप में सुखाना शुरू कर दिया. बैंकों में भी गड्डियों पर सैनिटाइजर स्प्रे किया जा रहा है. इसका नतीजा ये हुआ कि पुरानी तो छोडि़ए नई करेंसी भी सालभर में बेहद खराब हो गई.
पिछले साल 2000 के 6 लाख नोट आए थे. इस बार ये संख्या 17 करोड़ से भी ज्यादा हो गई. 500 की नई करेंसी दस गुना ज्यादा खराब हो गई. दो सौ के नोट तो पिछले साल की तुलना में 300 गुना से भी ज्यादा बेकार हो गए. बीस की नई करेंसी एक साल में बीस गुना से ज्यादा खराब हो गई.
अगर साल 2017-18 की बात करें तो उस समय आरबीआई के पास 2 हजार के एक लाख नोट आए थे. वहीं 2018-19 में ये संख्या बढ़कर 6 लाख हो गई. इस साल इस संख्या ने सारे रिकॉडज़् ही तोड़ दिए. साल 2019-20 में आरबीआई के पास 2 हजार के 17.68 करोड़ नोट आए. इसी तरह अगर 500 के नोट की बात करें तो 2017-18 में 1 लाख, 2018-19 में 1.54 करोड़ और 2019-20 में 16.45 करोड़ खराब नोट आए. बता दें कि हर साल आरबीआई के पास सबसे ज्यादा 10, 20 और 50 के खराब नोट आते हैं.
आरबीआई द्वारा जारी 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 200 और 500 रुपये के नोट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. साल 2018 में 37,053 करोड़ रुपये मूल्य के 18526 लाख पीस 200 रुपये के नोट सकुर्लेशन में थे. साल 2019 में 80010 करोड़ रुपये के मूल्य के 40005 लाख पीस 200 रुपये के नोट सर्कुलेशन में थे जो साल मार्च 2020 तक 1,07,293 करोड़ रुपये के मूल्य के 53,646 लाख पीस 200 रुपये के नोट सर्कुलेशन में थे.