लखनऊ. यूपी से आज दो बड़ी खबर आ रही है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आह्वान पर सपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेशभर में हल्लाबोल प्रदर्शन किया. हालांकि कई स्थानों पर झडप के बाद पुलिस ने उनपर लाठी भी चार्ज किया. साथ ही 50 से अधिक सपाइयों को गिरफ्तार किए जाने की खबर है. वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और विधायक दल नेता आराधना मिश्रा मोना को घाटमपुर में पुलिस ने रोककर हिरासत में ले लिया है. दोनों नेता महोबा के बहुचर्चित व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की हत्या के बाद उनके परिजनों से मिलने के लिए जा रहे थे.
बता दें इंद्रकांत त्रिपाठी ने वीडियो वायरल कर पूर्व एसपी पाटीदार पर रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था. इसी मामले में पाटीदार के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 और 120बी के तहत केस दर्ज है. अब व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद उनके ऊपर हत्या का केस दर्ज होना तय माना जा रहा है. लेकिन, विपक्ष इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने की तैयारी में है.
प्रयागराज में 50 से अधिक सपाई गिरफ्तार
प्रयागराज में प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने के दौरान सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस में जमकर झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर 50 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. आरोप है कि पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को लाठियों से भी पीटा. इस दौरान कलेक्ट्रेट के पास मची अफरा तफरी मच गई.
गाजीपुर और वाराणसी में भी लाठीचार्ज
गाजीपुर में भी सपा के प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प हो गई. बात न बनने पर प्रदर्शन कर रहे सपाइयों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. वाराणसी में भी जिला मुख्यालय पर धरना दे रहे सपा कार्यकर्ताओं को पुलिस नोकझोंक हो गई, जिसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर सभी को खदेड़ा. कानपुर में भी सपा कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ी.
इन मुद्दों पर सौंपा ज्ञापन
लखनऊ कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने के बाद घंटों धरना दिया. कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को धरने से उठाया. वहीं, प्रदेशभर में सपा के युवा कार्यकर्ताओं ने बेहाल किसान, महंगी शिक्षा, बेरोजगारी, निजीकरण, भ्रष्टाचार और नष्ट रोजगार, आरक्षण पर वार और यूपी में बीएड प्रवेश परीक्षा में दलित छात्रों के निशुल्क प्रवेश पर रोक मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा.
महोबा के इंद्रकांत त्रिपाठी सरकारी हत्याकांड में दिखावटी सस्पेंशन की लीपापोती न करके सरकार गिरफ़्तारी करे. आरोपित पुलिस कप्तान व डीएम के खिलाफ़ इतनी ढिलाई क्यों? पुलिस किस अधिकार से जन प्रतिनिधियों को जनता से मिलने व उनके मुद्दे उठाने से रोक रही है?