लखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति की अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी है. सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई है, जिसमें पूर्व मंत्री को चिकित्सा आधार पर दो माह की अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया गया था. पूर्व मंत्री पर गैंगरेप का मामला दर्ज है. वहीं, बीते 9 दिन पहले एक अन्य धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी देने के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा चुका है.
3 साल 5 महीना 20 दिन बाद मिली गायत्री को जमानत
बीते 4 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस वेद प्रकाश वैश्य ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए 2 महीने की अंतरिम बेल मंजूर की थी. गायत्री को 3 साल में पहली बार जमानत मिली थी. इस अंतरिम जमानत के लिए गायत्री को 3 साल 5 महीना 20 दिन का इंतजार करना पड़ा था. उन्हें यह जमानत मेडिकल ग्राउंड पर बेल की मंजूरी मिली है.
गायत्री ने अपनी एप्लिकेशन में हार्ट, इंफेक्शन इत्यादि की दिक्कत बताई थी. यह बेल लखनऊ के गौतम पल्ली थाने में दर्ज रेप के मुकदमे में मिली थी. कोर्ट ने कहा है कि जमानत पर बाहर रहने के दौरान गायत्री द्वारा किसी भी तरह से पीडि़त परिवार को न डराया जाएगा न ही धमकाया जाएगा. साथ ही किसी भी तरह से उन्हें प्रभवित नहीं किया जाएगा. गायत्री ने 15 मार्च 2017 को सरेंडर किया था.
2017 में प्रजापति के खिलाफ दर्ज हुआ था सामूहिक दुष्कर्म का केस
अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ 2017 में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था. केस में तीन जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य पर चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके बाद 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया था.