Wednesday , April 24 2024
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी ने रामविलास पासवान को दी श्रद्धांजलि

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पटना.  लोक जनशक्ति पार्टी के संस्‍थापक व केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रामविलास पासवान  नहीं रहे. उनके दिल व किडनी ने ठीक से काम करना बंद कर दिया था. इस वजह से कुछ दिनों से उन्हें आइसीयू में एक्मो (एक्सट्रोकॉरपोरियल मेमब्रेंस ऑक्सीजनेशन) मशीन के सपोर्ट पर रखा गया था. गुरुवार की शाम 6:05 बजे उन्होंने दिल्ली के फोर्टिस अस्‍पताल में अंतिम सांस ली. वे 74 वर्ष के थे. शुक्रवार की सुबह उनका शव नई दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान में केमिकल ट्रीटेमेंट के बाद दिल्‍ली निवास पर ले जाया गया है. वहां श्रद्धांजलि देने वाले आ रहे हैं. श्रद्धांजलि देने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय कैबिनेट के मंत्रीगण शामिल रहे. अपराह्न काल में रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर पटना लाया जाएगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार शनिवार को होगा.

राम विलास पासवान के निधन के बाद देश में शोक का माहौल है. उनके निधन के बाद शोक में राष्‍ट्रपति भवन पर राष्‍ट्रध्‍वज झुका दिया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित पक्ष-विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं व केंद्रीय मंत्रियों ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय कैबिनेट के मंत्रिगण उन्‍हें श्रद्धांजलि देने उनके दिल्‍ली आवास पर पहुंचे.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा, ‘केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है. उनकी गणना सर्वाधिक सक्रिय तथा सबसे लंबे समय तक जनसेवा करने वाले सांसदों में की जाती है. वे वंचित वर्गों की आवाज़ मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे.

राम विलास पासवान की तबीयत बीते कुछ समय से खराब चल रही थी. करीब एक सप्‍ताह पहले अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण तीन अक्‍टूबर को उनके दिल का ऑपरेशन करना पड़ा था. इसके बाद गुरुवार की रात दिल्‍ली के फाेर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में अंतिम सांस ली. वहां कार्डियोलोजिस्‍ट डॉ. अशोक सेठ के नेतृत्व में उनका इलाज चल रहा था. उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गयी.

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